दौसा जिला दर्शन (राजस्थान के जिले)
Dausa Jila Darshan / Dausa District GK in Hindi
- कछवाहा राज्य के संस्थापक दूल्हेराय में लगभग 1137 ईसवी में दोसा क्षेत्र में बड़गुजरों को हराकर अपना शासन स्थापित किया था तथा इस क्षेत्र को ढूंढाड़ के कछवाहा वंश की प्रथम राजधानी बनाया था।
- 10 अप्रैल 1991 को दौसा जिले को जयपुर से प्रथक का स्वतंत्र जिला बनाया गया।
- दोसा जिले के उपनाम/प्राचीन नाम : देनवसा, दोसा, देवांश।
दौसा का मानचित्रयीय विस्तार/स्थिति – 25°33′ से 27°33′ उत्तरी अक्षांश तथा 76°50′ से 78°55′ पूर्वी देशान्तर
दौसा जिले का क्षेत्रफल – 3432 वर्ग किलोमीटर
दौसा का
नगरीय क्षेत्रफल – 37.46 वर्ग किलोमीटर
ग्रामीण क्षेत्रफल – 3394.54 वर्ग किलोमीटर
दौसा जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 5 हैं, जो निम्न है –
1. दौसा 2. लालसोट
3. महुआ 4. बांदीकुई
5. सिकराय
दौसा में उपखण्डों की संख्या – 5
दौसा में तहसीलों की संख्या – 6
दौसा में उपतहसीलों की संख्या – 1
दौसा में ग्राम पंचायतों की संख्या – 226
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार दौसा जिले की जनसंख्या के आंकड़े –
कुल जनसंख्या – 16,34,409
पुरुष – 8,57,787
स्त्री – 7,76,622
दशकीय वृद्धि दर – 23.5%
लिंगानुपात – 905
जनसंख्या घनत्व – 476
साक्षरता दर – 68.2%
पुरुष साक्षरता – 83%
महिला साक्षरता – 51.9%
दौसा जिले में कुल पशुधन – 10,02,892
दौसा में कुल पशु घनत्व – 292
दौसा जिले की प्रमुख नदियां →
दौसा जिले में बाणगंगा, मोरेल तथा ढुढ आदि नदियां बहती है।
बाणगंगा नदी – इसे अर्जुन की गंगा भी कहते है। बाणगंगा बैराठ की पहाड़ियों (जयपुर) से निकलकर जयपुर, दौसा तथा भरतपुर में बहती हुई उत्तरप्रदेश के आगरा में फतेहाबाद के निकट यमुना में मिल जाती है।
मोरेल नदी – यह नदी जयपुर जिले की बस्सी तहसील के चैनपुर गांव की पहाड़ियों निकलकर जयपुर तथा दौसा में दक्षिण-पूर्व दिशा में बहकर बनास नदी में मिल जाती है। मोरेल नदी पर दौसा जिले में मोरेल बांध (लालसोट) बनाया गया है।
दौसा जिले के बाँध – काला खोह, रेडिय़ो बाँध, माधोसागर, झील मिल्ली, चिर मिरी तथा मोरेल बांध दौसा जिले में स्थित है।
दौसा जिले के प्रमुख मेले --
दौसा जिले के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल →
मेहंदीपुर बालाजी का मन्दिर – इस मंदिर में मूर्ति पर्वत का ही अंग है। यह हनुमान जी की बाल-प्रतिमा है। यह मन्दिर भूत-प्रेत, बुरी आत्माओं व जादू-टोने के निदान हेतु प्रसिद्ध है। इस प्रतिमा के बाईं ओर सदैव एक जलधारा बहती है। यह मन्दिर एन.एच. 11 पर है।
आभानेरी – यहाँ की चाँद बावड़ी (तीन ओर कलात्मक सीढ़ियां) प्रसिद्ध है। यहाँ पर हर्षद माता का मन्दिर है। यहां के मंदिरों का निर्माण प्रतिहारों द्वारा 8-9वीं शताब्दी में किया गया।
दौसा का किला – इसका निर्माण बड़गुर्जरों ने देवगिरी पहाड़ी पर सूप (छाजले) की आकृति में करवाया था। इस दुर्ग में ‘हाथीपोल’ तथा ‘मोरी दरवाज़ा’ नाम के दो दरवाज़े हैं। क़िले के अंदर भीतर वाले परकोटे के प्रांगण में ‘रामचंद्रजी’, ‘दुर्गामाता’, ‘जैन मंदिर’ तथा एक मस्जिद स्थित है। दौसा के किले में राजाजी का कुँआ, 4 मंजिल की बावड़ी प्रसिद्ध है। इस दुर्ग का सबसे प्राचीन महल 14 राजाओं की साल के लिए प्रसिद्ध है।
महाराणा सांगा का चबूतरा – घायल राणा सांगा को खानवा युद्ध के बाद बसवा ले जाया गया, बसवा में ही उनकी मृत्यु” होने वर्णन मिलता है। सांगा का चबूतरा/छतरी बसवा के समीप धूप तलाई में है।
आलूदा का बुबानियाँ कुण्ड ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। यहां बने कुण्ड पुराने समय में आने जाने के उपयोग में लाई जाने वाली बुबानियां (बहली) के आकार में निर्मित है।
दौसा जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य →
ऐसा माना जाता है कि प्रथम स्वतन्त्रता दिवस पर जिस झण्डे को लाल किले की प्राचीर पर फहराया गया वह दौसा जिले के आलूदा गाँव की खादी से बना हुआ था। हालांकि इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है।
बन्जारों की छतरी – लालसोट (दौसा) में है। यह छतरी छह स्तम्भों पर बनी है जो पुरातात्विक दृष्टि से अलग पहचान रखती है।
ब्रजकुंवरी – राजसिंह की पत्नी। इन्हें ब्रजदासी के नाम से जाना जाता है। यह लवाण (दौसा) की राजकुमारी थी। ब्रजदासी भागवत ब्रजकुँवरी द्वारा रचित श्रीमद् भागवत का ब्रजभाषा में अनुवाद है।
नई का नाथ तीर्थ स्थल लवाण (दौसा) में स्थित है।
झाझीरामपुरा – यहाँ पर झाझेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां एक ही स्थान पर एक जलहरी में 121 महादेव (शिवलिंग) हैं।
दौसा के समीप गेटोलाव में संत दादू के शिष्य सुन्दरदास जी का स्मारक है। सुन्दरदास जी दादूपंथ की ‘नागा’ शाखा के प्रमुख संत थे। दादू पंथ में सर्वाधिक साहित्य की रचना सुन्दरदास जी ने ही की थी।
राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल का जन्म मण्डावर गाँव, महुआ (दौसा) में हुआ।
पीतल के बर्तनों के लिए बालाहेड़ी (महुआ, दौसा) प्रसिद्ध है तथा लवाण गांव की दरियां प्रसिद्ध है।
भण्डारेज की बावडिय़ाँ – भण्डारेज गाँव दौसा में है। भंडारेज में स्थित पांच मंजिला ऐतिहासिक बावड़ी है जो स्थापत्य की दृष्टि से उत्कृष्ट है। यह कुम्भाणी शासकों द्वारा निर्मित होने के कारण कुम्भाणी बावड़ी कहलाती है। यहां बालाजी का मेला भी लगता है।
भण्डारेज में लोहे के सामान, चमड़े की जूतियाँ, रंगाई-छपाई का कार्य किया जाता है। भण्डावरेज कस्बा महाभारत कालीन भद्रावती नगर से संबंधित है।
दौसा स्टेशन से 24 किमी. दूरी पर नीमला राईसेला गाँव में लगभग 10 लाख टन हेमेटाइट किस्म के लौह अयस्क के भण्डार मिले हैं।
बसवा मिट्टी के कलात्मक बर्तनों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है।
लालसोट (दौसा) का हेला ख्याल प्रसिद्ध है।
दौसा जिले के प्रश्नोत्तर/ dosa district GK Question
- राजस्थान का सर्वाधिक पशु घनत्व वाला जिला कौन सा है - दोसा जिला .
- माधोसागर बांध किस जिले में है - दौसा जिले में।
- झिलमिली बांध, चिरमिरी बांध, मोरेल बांध, काला खोह बांध, रेडियो बांध आदि किस जिले में है - दौसा जिले में।
- चांद बावड़ी किस जिले में स्थित है - आभानेरी दौसा में।
- दोसा में लोहा खनिज उत्पादक क्षेत्र कौन से हैं - नीमला राईसेला।
- दौसा जिले में सोना उत्पादक क्षेत्र कौन से हैं - धानी बासडी
- बंजारों की छतरी किस जिले में स्थित है - दौसा जिले के लालसोट क्षेत्र में।
- दौसा जिले से होकर बहने वाली नदियां कौन सी है - बाणगंगा नदी, मोरेल नदी, ढूंढ नदी।
- राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल का संबंध किस जिले से है - दौसा जिले से।
Super
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