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राजस्थान समान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

Tuesday, January 19, 2021

राजस्थान मे किसान आंदोलन

( राजस्थान मे किसान आंदोलन )

1. बिजौलिया किसान आंदोलन ( Bijaulia Kisan Movement 1897-1941 )-

बिजौलिया किसान आंदोलन मेवाड़ रियासत में हुआ था जिसे धाकड़ जाट किसान आंदोलन भी कहा जाता है। 1897 ई. में साधू सिताराम दास के नेतृत्व में बिजौलिया किसान आन्दोलन की षुरूआत हुई। उस समय बिजोलिया के ठिकानेदार राव कृष्णसिंह थे और महाराणा फतेह सिंह थे बिजोलिया के किसानों से भू राजस्व निर्धारण और संग्रहण के लिए लाटा कुंता पद्धति प्रचलित थी इसके अंतर्गत किसान अपनी मेहनत की कमाई से भी वंचित रह जाता था 

प्रथम प्रयास के लिए 1897 में उपरमाल के किसानों ने गिरधारीपुरा नमक ग्राम में सामूहिक रूप से किसानों की ओर से नानजी और ठाकरे पटेल को उदयपुर भेजकर ठिकाने के जुल्मों के विरुद्ध महाराणा से शिकायत करने का निर्णय किया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण ठिकानेदार राव कृष्ण सिंह द्वारा नानजी और ठाकरी पटेल को उपरमाल से निर्वासित कर दिया गया

1903 ई. में कृष्ण सिंह ने चंवरी कर लगा दिया। 5 रू. का यह कर किसानों की कन्याओं के विवाह के संबंधित था

उसके बाद 1906 में कृष्ण सिंह के निधन के पष्चात् पृथ्वी सिंह ने किसानों पर तलवार बंधाई कर लगा दिया। जो राज्यभिषेक संबंधी कर था। जिसके कारण किसानों ने साधु सीताराम दास, फतेह करण चारण एवं ब्रह्मदेव के नेतृत्व में विद्रोह किया

किसानों ने अपनी कन्याओं के विवाह स्थगित कर आन्दोलन तेज कर दिया। 1916 ई. में विजयसिंह पथिक इस आंदोलन से जुड़े, उनका वास्तविक नाम भूपसिंह गुर्जर था। अतः साधू सिताराम दास व रामनारायण चौधरी के आग्रह पर बिजौलिया के किसान नेतृत्व को स्वीकार कर लिया। इन्होने कानपुर से प्रकाषित प्रताप नामक समाचार पत्र के माध्यम से बिजौलिया के किसानों की दुर्दषा को उजागर किया। 

1917 में उपरमाल पंच बोर्ड की स्थापना की जिस का सरपंच श्री मन्ना पटेल को बनाया गया किसानों की मांगों के औचित्य की जांच करने के लिए अप्रैल 1919 में न्यायमूर्ति बिंदु लाल भट्टाचार्य जांच आयोग गठित हुआअतः गांधी जी जैसे बड़े नेता भी इस आन्दोेलन से जुडे

राजपूताने के एडीजी रोबर्ट होलेंड स्वयं 4 फरवरी 1922 को बिजोलिया गए होलैंड के प्रयासों से 11 जून 1922 को सम्मानजनक समझौता हुआ परिणामस्वरूप किसानों के 84 मे से 35 करो को समाप्त करने का आष्वासन दिया किन्तु 1922 ई. तक उन्हे क्रियान्वित नहीं किया गया। अतः किसानों ने आन्दोलन पुनः आरम्भ किया।

बिजौलिया किसान आंदोलन के दौरान विजयसिंह पथिक पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया जिसके कारण 1927 को पथिक जी इस आंदोलन से अलग हो गए और नेतृत्व सेठ जमुनालाल जी एवं हरिभाऊ जी उपाध्याय के हाथ में आ गया

आन्दोलन के अन्त में माणिक्यलाल वर्मा, हरिभाऊ उपाध्याय तथा जमनालाल बजाज ने बिजौलिया किसान आन्दोलन का नेतृत्व किया। 1941 ई. में मेवाड़ के प्रधानमंत्री सर टी विजय राघवाचार्य ने राजस्व विभाग के मंत्री डॉक्टर मोहन सिंह मेहता को बिजोलिया भेजा उन्होंने माणिक्य लाल वर्मा के नेतृत्व में किसानों की सभी मांगे मान मान कर उनकी जमीने वापस दिलवा दी

लगभग 44 वर्षो तक चला किसान आन्दोलन अन्त में सफल हुआ। यह आन्दोलन पूर्णतः अहिंसात्मक किसान आन्दोलन था। श्री वर्मा जी के जीवन की यह प्रथम बड़ी सफलता थी यह आंदोलन भारत वर्ष का प्रथम व्यापक और शक्तिशाली किसान आंदोलन था

2. बेंगु किसान आंदोलन ,चित्तौड़गढ़ ( Bengu Kisan Movement 1921-23 )

बिजोलिया किसान आन्दोलन से प्रभावित चित्तौड़गढ़ रियासत में बेगू किसान आंदोलन 1921 में मेनाल नामक स्थान पर किसानों से लाग बाग और उनकी लगान के कारण रामनारायण चौधरी के नेतृत्व में शुरू हुआ  किसानो ने रामनाराणण चौधरी के नेतृत्व में बेगू में किसान सभा आयोजित की। उन्होंने फैसला किया कि ना तो फसल का कुंता कराया जायेगा और ना ही लगाते दी जाएगी

बेगू की जागीरदार ठाकूर अनूपसिंह ने सभा पर फायरिंग करवा दी। जिसमें रूपाजी धाकड़ व कृपा जी धाकड़ दो किसान मारे गए। अतः आन्दोलन और तेज हुआ। आंदोलन की शुरूआत रामनारायण चौधरी ने की बाद में इसकी बागड़ोर विजयसिंह पथिक ने सम्भाली थी।

ठाकुर अनूपसिंह को किसानों के आगे झुकना पड़ा। अनूप सिंह ने किसानों की मागे मान ली। अंग्रेजों ने अनूपसिंह को नजरबंद कर दिया और अनूपसिंह व किसानों के मध्य समझौते को बोल्शेविक समझोते का नाम दिया। आन्दोलन की जांच के लिए ट्रेच आयोग का गठन किया किसानों ने उसका बहिष्कार किया 13 जुलाई 1923 को किसानों की अहिंसक सभा पर ट्रेंच द्वारा लाठीचार्ज करवाया गया रूपा जी,  कृपा जी नामक दो किसान शहीद हुए

पथिक जी ने बेगू आंदोलन की बागडोर संभाली और अंततः आंदोलन के कारण बने दबाव से बेगू ठीकाने में व्याप्त मनमानी के राजगढ़ ठाकुर शाही के स्थान पर बंदोबस्त व्यवस्था लागू की गई

3. अलवर में किसान आंदोलन ( Kisan movement in Alwar )

सुअरपालन विरोधी आंदोलन (1921):
अलवर में बाड़ों में सुअर पालन किया जाता था, जब कभी इन सुअर को खुला छोड़ा जाता था, तब ये फसल नष्ट कर देते थे। जिसका किसानों ने विरोध किया, जबकि सरकार ने सुअरों को मारने पर पाबंदी लगा रखी थी। लेकिन अंत में 1921 में सरकार के द्वारा सुअरों को मारने की अनुमति दे दी एवं आंदोलन शांत हो गया।

नीमूचणा किसान आंदोलन ( Neemuchana Kisan Movement 1923-24):
1923-24 मेंअलवर के महाराजा जयसिंह द्वारा लगान की दर बढ़ाने पर 14 मई, 1925 को नीमूचणा गांव में 800 किसानों ने एक सभा आयोजित की जिस पर पुलिस ने गोलियां चलाई जिसमें सैकड़ों किसान मारे गए। गांधीजी ने इस आंदोलन को जलियांवालाबाग कांड –  ‘Dyrism Double Distilled’ से भी वीभत्स की संज्ञा दी । सरकार को लगान के बारे में किसानों के समक्ष झुकना पड़ा आंदोलन रुक गया

4. मारवाड़ में किसान आन्दोलन ( Marwar Kisan Movement )

मारवाड़ में भी किसानों पर बहुत अत्याचार होता था। 1923 ई० में जयनारायण व्यास ने ‘मारवाड़ हितकारी सभा’ का गठन किया और किसानों को आन्दोलन करने हेतु प्रेरित किया, परन्तु सरकार ने ‘मारवाड़ हितकारी सभा’ को गैर – कानूनी संस्था घोषित कर दिया।

सरकार ने किसान आन्दोलन को ध्यान में रखते हुए मारवाड़ किसान सभा नामक संस्था का गठन किया, परन्तु उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई। अब सरकार ने आन्दोलन का दमन करने हेतु दमन की नीती का सहारा लिया, परन्तु उससे भी कोई लाभ नहीं हुआ।

चण्डावल तथा निमाज नामक गाँवों के किसानों पर निर्ममता पूर्वक अत्याचार किये गये तथा डाबरा में अनेक किसानों को निर्दयता पूर्वक मार दिया गया। इससे सम्पूर्ण देश में उत्तेजना की लहर फैल गई, किन्तु सरकार ने इसके लिए किसानों को उत्तरदायी ठहराया।

आजादी के बाद भी जागीरदार कुछ समय तक किसानों पर अत्याचार करते रहे, परन्तु राज्य में लोकप्रिय सरकार के गठन के बाद किसानों को खातेदारी के अधिकार मिल गये।

5. बूंदी किसान आंदोलन ( Bundi Kisan Movement 1926):-

बूंदी किसान आंदोलन को बरड़ किसान आंदोलन भी कहते हैं। 1926 में पंडित नैनू राम शर्मा के नेतृत्व में बूंदी के किसानों ने लगान लाग बाग की ऊंची दरों के विरुद्ध आंदोलन छेड़ा। इनके नेतृत्व में डाबी नामक स्थान पर किसानों का एक सम्मेलन बुलाया, पुलिस ने किसानों पर गोलिया चलाई, जिसमें झण्डा गीत गाते हुए नानकजी भील शहीद हो गए।
कुछ समय बाद माणिकलाल वर्मा ने इसका नेतृत्व किया। यह आंदोलन 17 वर्षं तक चला एवं 1943 में समाप्त हो गया।

6. मातृकुण्डिया किसान आंदोलन, चित्तौड़गढ़ ( Matrukundia Kisan Movement ):-

मातृकुण्डिया किसान आंदोलन 22 जून, 1880 में हुआयह एक जाट किसान आंदोलन था। इसका मुख्य कारण नई भू-राजस्व व्यवस्था थी। इस समय मेवाड़ के शासक महाराणा फतेहसिंह थे।

7. भोमट का भील आन्दोलन ( Bhomat Bhil movement 1918)

1918 ई० में मेवाड़ सरकार के प्रशासनिक सुधारों के विरुद्ध भोमट के भीलों ने आन्दोलन छेड़ दिया। गोविन्द गुरु ने भीलों में एकता स्थापित करने का प्रयास किया। मोतीलाल तेजावत ने भील आन्दोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण इस आन्दोलन ने और जोर पकड़ लिया।

भीलों ने लागत तथा बेगार करने से इनकार कर दिया। सरकार ने आन्दोलन को कुचलने के लिए दमन – चक्र का सहारा लिया, किन्तु उसे सफलता नहीं मिली। इस आन्दोलन से भीलों को अनेक सुविधाएँ प्राप्त हुई। भीलों में सर्वप्रथम मोतीलाल तेजावत ने राजनीतिक चेतना जागृत की। इसके बाद भीलों की आर्थिक स्थिति को सुधारने तथा उनके अन्ध – विश्वासों को दूर करने के लिए बनवासी संघ की स्थापना की गई।

8. दूधवा-खारा किसान आंदोलन ( Dudhawa-Khara Kisan Movement 1946-47):-

यह बीकानेर रियासत के चुरू में हुआ। बीकानेर रियासत के दूधवाखारा व कांगड़ा गांव के किसानों ने जागीरदारों के अत्याचार व शोषण के विरुद्ध आंदोलन किया। इस समय बीकानेर के शासक शार्दुलसिंजी (गंगासिंहजी के पुत्र) थे। इस आंदोलन का नेतृत्व रघुवरदयाल गोयल, वैद्य मघाराम, हनुमानसिंह आर्य के द्वारा किया गया। जागीरदारों ने किसानों पर भीषण अत्याचार किए गए आंदोलन को कुचल दिया

9. शेखावटी किसान आंदोलन ( Shekhawati Kisan Movement 1925):-

सीकर मे ठाकुर कल्याण सिंह द्वारा 1922 ईस्वी में 25% से 50% तक भूमि लगान वसूल किए जाने के कारण किसानों ने व्यापक आंदोलन प्रारंभ कर दिया यह आंदोलन पलथाना, कटराथल, गोधरा, कुन्दनगांव आदि गांवों में फैला हुआ था। खुड़ी गांव और कुन्दन गांव में पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही में अनेक किसान मारे गये। शेखावटी किसान आंदोलन में जयपुर प्रजामण्डल का योगदान था। 1946 में हीरालाल शास्त्री के माध्यम से आंदोलन समाप्त हुआ।

शेखावाटी आंदोलन सीकर आंदोलन का ही विस्तार था जिसमें झुनझुनु चुरु क्षेत्र के किसानों द्वारा विभिन्न स्थान पर सामंतो एवं ठाकुर के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई गई

10. किषोरीदेवी महिला आंदोलन (25 अप्रैल, 1934):-

सीहोर के ठाकुरद्वारा जाट महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के विरोध में 25 अप्रैल 1934 को कटराथल नामक स्थान पर सरदार हरलालसिंह की पत्नि किषोरदेवी के नेतृत्व में जाट महिलाओं का एक सम्मेलन बुलाया गया। जिसमें लगभग 10,000 महिलाओं ने भाग लिया। श्रीमती रमादेवी, श्रीमती दुर्गादेवी, श्रीमती उत्तमादेवी ने इस आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था।ठाकुर देशराज की पत्नी श्रीमती उत्तमा देवी के ओजस्वी भाषण ने महिलाओं में साहस और निर्भयता का संचार किया  किषोरीदेवी के प्रयासों से शेखवाटी क्षेत्र में राजनैतिक चेतना जागृत हुई।

11. मेव किसान आंदोलन ( Meow Kisan Movement 1931):-

यह अलवर व भरतपुर (मेवात) में हुआ। मेव जाति का आंदोलन 1931 में ही शुरू हुआ था  अलवर, भरतपुर के मेव बाहुल्य क्षेत्र को मेवात कहते हैं। यह लगान विरोधी आंदोलन था। आंदोलन का नेतृत्व मोहम्मद अली के द्वारा किया गया। 1932 में तो इसका नेतृत्व यासीन खान ने किया अलवर के किसानों ने लगान देने से इनकार कर दिया 1933 में ब्रिटिश सरकार ने किसानों की कुछ मांगे मानकर आंदोलन रुका

12 जयसिंहपुरा किसान हत्याकाण्ड (1934):-

21 जून 1934 को डूंडलोद के ठाकुर के भाई ईश्वर सिंह ने जयसिंहपुरा में खेत जोत रहे किसानों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई जिसमें अनेक किसान शहीद हुए। जयपुर रियासत में जयसिंहपुरा शहीद दिवस मनाया गया 

ईश्वर सिंह व उसके साथियों पर मुकदमा चलाया गया उन्हें कारावास की सजा हुई जयपुर राज्य में यह प्रथम मुकदमा था जिसमें जाट किसानों के हत्यारों को सजा दिलाना संभव हो सका

13. सीकर शेखावाटी किसान आंदोलन

जयपुर रियासत में सीकर टिकाने के ठाकुर कल्याण सिंह द्वारा बड़ी हुई दर् के विरोध में लगान वसूलने पर राजस्थान जाट क्षेत्रीय सभा (1931) के तत्वाधान में पलथाना में जाट सम्मेलन 1933 आयोजित किया गया इसके बाद 13 अगस्त 1934 को एवं तत्पश्चात 15 मार्च 1935 को वे किसानों व जागीरदारों के मध्य समझौतों का पालन न करने पर इस मुद्दे को अखिल भारतीय स्तर पर तथा जून 1935 को प्रसन्न के माध्यम से (हाउस ऑफ कॉमंस )में उठाया गया फलस्वरुप जयपुर महाराजा के साथ मध्यस्ता में समझौता हुआ

14. जाट किसान आंदोलन

22 जून 1880 को चित्तौड़गढ़ के रशिम परगना स्थित मातृकुंडिया नामक स्थान पर हजारों जाट किसानों ने भू राजस्व व्यवस्था के विरुद्ध जबरदस्त प्रदर्शन किया उस समय मेवाड़ महाराणा फतेह सिंह अवयस्क थे

15. जयपुर राज्य प्रजामंडल द्वारा जाट सम्मेलन

3 दिसंबर 1945 को जयपुर राज्य प्रजामंडल द्वारा ताज सर नामक स्थान पर विशाल जाट सम्मेलन का आयोजन किया गया प्रजामंडल समिति के सदस्य हीरालाल शास्त्री टीकाराम पालीवाल सरदार हरलाल सिंह और एडवोकेट श्री विद्याधर कुल्हारी थे
इनके द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन राज्य के भूमि सुधारों के इतिहास में मैग्नाकार्टा कहा जा सकता है यह एक संपूर्ण दस्तावेज था जिसमें किसानों से संबंधित सभी समस्याओं भूमि का स्थाई बंदोबस्त Lagaan की न्यायोचित दर भूमि पर किसान का स्वामित्व बेदखली के विरुद्ध सुरक्षा लाग बाग वह बेगार तथा खेतों पर लगाए गए पेड़ों के अधिकार आदि का समाधान प्रस्तुत किया गया था


राजस्थान  के प्रमुख आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

प्रश्न गोविंद गिरी द्वारा स्थापित संपसभा का प्रथम सम्मेलन हुआ?

उत्तर मानगढ़ की पहाड़ी पर

प्रश्न मानगढ़ हत्याकांड हुआ था?

उत्तर 17 नवंबर 1993

प्रश्न दुधवाखारा किसान आंदोलन किसके नेतृत्व में किया गया?

उत्तर  चौधरी हनुमान सिंह

प्रश्न कौन सी भील महिला राजस्थान की स्वतंत्रता सेनानी थी?

उत्तर काली बाई

प्रश्न बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना कब की गई?

उत्तर 1936 (मक्का ,राम वैद्य के द्वार)

प्रश्न राजस्थान में एकी आंदोलन को किसके नेतृत्व प्रदान किया?

उत्तर मोतीलाल तेजावत

प्रश्न अजमेर में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की गई थी?

उत्तर विजय सिंह पथिक के द्वारा

प्रश्न राजस्थान सेवा संघ की स्थापना कब की गई?

उत्तर वर्धा में (1919)

प्रश्न वीर क्षेत्र में बाबाजी के नाम से जाने जाते थे?

उत्तर मोतीलाल तेजावत

(Important Questions for Rajasthan ke Pramukh Andolan)

प्रश्न 1927 में कुमार मदन सिंह के नेतृत्व में किसानों ने कहा आंदोलन किया था?

उत्तर करौली में

प्रश्न पंडित नैनू राम किस आंदोलन से संबंधित थे?

उत्तर बूंदी बारां किसान आंदोलन (2 अप्रैल 1923)

प्रश्न नींबू चुडा किसान आंदोलन हत्याकांड राजपूताना की किस रियासत में हुआ था?

उत्तर अलवर (14 मई 1925)

प्रश्न मीणाओं ने रियासत काल के किस अधिनियम के विरुद्ध आंदोलन किया?

उत्तर जरायम पेशा (अधिनियम 1930 में)

प्रश्न भगतपंथआंदोलन नई साड़ी आंदोलन स्थापना किसके द्वारा की गई थी?

उत्तर गोविंद गुरु

प्रश्न बिजोलिया आंदोलन का दूसरी बार प्रारंभ होने का कारण था?

उत्तर चंवरी कर

प्रश्न शेखावटी की किस महिला ने किसान आंदोलन का नेतृत्व किया?

उत्तर किशोरी देवी

प्रश्न मेवाड़ में प्रजामंडल आंदोलन का संस्थापक कौन था?

उत्तर  माणिक्य लाल वर्मा

प्रश्न राजस्थान के किस आंदोलन में सेवा संघ के साथ हुए समझौते को सरकार ने बॉल वैश्विक फैसले की संज्ञा दी?

उत्तर बेंगू किसान आंदोलन

प्रश्न किस राजपूत राज्य के प्रजामंडल की स्थापना कोलकाता में की गई थी?

उत्तर बीकानेर प्रजामंडल

प्रश्न राजस्थान का जलियावालाबाग के नाम से प्रसिद्ध स्थान मानगढ़ धाम किस जिले में स्थित है?

उत्तर बांसवाड़ा

प्रश्न टच कमीशन संबंधित है?

उत्तर बेगू किसान आंदोलन

प्रश्न राजस्थान के किस क्रांतिकारी की बरेली की जेल में अपना के कारण व्यक्ति हुए?

उत्तर प्रताप सिंह बाहरहट

राजस्थान में किसान आंदोलन के कारण

1. बिजौलिया किसान आंदोलन-


✍ यह भारत का प्रथम अहिंसात्मक और संगठनात्मक किसान आंदोलन था।
✍ इस आंदोलन को प्रारम्भ करने का श्रय मेवाड़ रियासत को दिया जाता है।
✍ बिजौलिया ठिकाने के संस्थापक अशोक परमार थे जो भरतपुर के जगनेर के रहने वाले थे।
✍ अशोक परमार ने खानवा के युद्ध मे राणा सांगा का साथ दिया था इससे खुश होकर राणा सांगा ने अशोक परमार को बिजौलिया कि उपरमाल जागीर प्रदान कर दी।
✍ उपरमाल जागीर कि सदरमुकाम राजधानी थी।
✍ वर्तमान मे बिजौलिया भीलवाड़ा मे स्थित है।
✍ बिजौलिया मे अधिकांश ( 60% ) किसान धाकड़ जाती के थे।

👉 बिजौलिया किसान आंदोलन के कारण-

✍ दौषपुर्ण भू-राजस्व पद्दती और भू-राजस्व कि वसुलि का गलत तरीका ( लाटा और कूँता )
✍ बिजौलिया मे 84/86 लागबाग लि जाती थी।
✍ किसानो कि कर्जदारी
✍ निःशल्क बेगार

👉 बिजौलिया किसान आंदोलन के कुल तीन चरण थे।

(अ) बिजौलिया किसान आंदोलन का प्रथम चरण-( 1897-1915 तक )

✍ प्रथम चरण मे बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व साधु सिताराम दास के द्वारा किया गया।
✍ 1894 मे जागीदार राव गोविंद दास कि मृत्यु के बाद उसका बेटा किशन सिंह/कृष्ण सिंह नया जागीदार बना।
✍ कष्ण सिंह के काल मे किसानो से 84 प्रकार कि लाग बाग लि जाती थी।
✍ सन् 1897 मे किशन सिंह/कृष्ण सिंह कि शिकायत करने हेतु किसानो ने नानजी पटेल व ठाकरी पटेल को मेवाड़ के राणा फतेह सिंह के पास भेजा।
✍ बिजौलिया किसान अांदोलन के दौरान मेवाड़ का राणा फतेह सिंह था।
✍ किसानो कि शिकायत कि जाँच हेतु महाराणा फतेह सिंह ने हाकिम हुसैन को भेजा था।

✍ सन् 1903 मे किशन सिंह ने एक नई लाग लागू कि जो चवरी कर के नाम से प्रसिद्ध थी जिसके अन्तर्गत प्रत्येक किसान को अपनी बेटी के  विवाह पर 5 रुपये लाग के रुप मे देने होगे।

✍ सन् 1906 मे कृष्ण सिंह कि मृत्यु के बाद उनका पुत्र पृथ्वी सिंह नया जागीदार बना।
✍ पृथ्वी सिंह ने जागीदार बनते हि तलवार बंधि कर नामक एक नई लाग लागू कर दी।
✍ तलवार बंधि कर उतराधिकारी कर था।
✍ एेसी परिस्थितियो मे किसानो ने साधु सिताराम दास, फतहकरण चारण और ब्रह्मदेव से शिकायत कि थी।
✍ जागीदार ने फतहकरण चारण और ब्रह्मदेव को राज्य से बाहर निकाल दिया और साधु सिताराम दास को पुस्तकाल्य कि नौकरी से हटा दिया।
✍ सन् 1914 मे पृथ्वी सिंह कि मृत्यु के बाद उनका पुत्र केशरी सिंह नया जागीदार बना जिसने लाग बाग को यथावत रखा।
✍ सन् 1916 मे साधु सिताराम दास ने उमा जी के खेड़े/ बारीसल गाँव मे किसान पंच बोर्ड कि स्थापना कि थी।

(ब) बिजौलिया किसान आंदोलन का दुसरा चरण-( 1916-1922 तक )

✍ सन् 1916 मे साधु सिताराम दास ने बिजौलिया किसान आंदोलन कि बागडोर विजय सिंह पथिक को सौंप दी।

✍ इस समय विजय सिंह पथिक, क्रांतिकारी रास बिहारी बोस, सचिनानंद संथाल के संगठन मे कार्य कर रहे थे।
✍ विजय सिंह पथिक को रास बिहारी बोस ने सशस्त्र क्रांति सन् 1915 के लिए राजस्थान खरवा के ठाकुर गोपाल सिंह खरवा के यहा भेजा परन्तु गोपाल सिंह खरवा व विजय सिंह पथिक पकड़े गये।
✍ विजय सिंह पथिक को कैद करके अजमेर के टाेडगढ़ दुर्ग मे बंद किया
✍ जैल से फरार होने के बाद भुपसिंह ने अपना नाम बदल कर विजय सिंह पथिक रखा।
✍ विजय सिंह का वास्तविक नाम भुपसिंह था।
✍ भुपसिंह का जन्म सन् 1873 मे उतरप्रदेश के बुलंद शहर के गुढ़ावरी मे हुआ तथा यह जाती से गुर्जर थे।
✍ जैल से फरार होने के बाद भुपसिंह ने चितोड़गढ़ के ओछड़ी गाँव मे विधा प्रचारणी सभा का गठन किया।

✍ इस समय साधु सिताराम दास, माणिक्य लाल वर्मा, प्रेमचंद भील और भवरलाल सराफ विजय सिंह पथिक से भेट कर विजय सिंह पथिक को बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व सौप दिया।
✍ विजय सिंह पथिक ने किसानो को पंचायतो के माध्यम से गठित करने के आदेश दिये और दुसरे विश्व युद्ध मे चंदा देने से मना कर दिया।
✍ सन् 1917 मे विजय सिंह पथिक ने बेरिसाल गाँव मे उमाजी के खेड़े मे उपरमाल पंच बोर्ड कि स्थापना हरियाली अमावस्या के दिन किया।
✍ इस पंच बोर्ड का सरपंच/अधयक्ष मुन्ना पटेल/ मुन्ना लाल पटेल को बनाया गया।
✍ इसी समय साधु सिताराम दास और प्रेमचंद भील को पकड़ कर जैल मे बंद कर दिया।
✍ इन्हे छुड़ाने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने महाराणा फतेह सिंह को पत्र लिखा।
✍ बाल गंगाधर तिलक ने बिजौलिया किसान आंदोलन मे अप्रत्यक्ष रुप से भाग लिया था।
✍ बिजौलिया किसान आंदोलन के दौरान माणिक्य लाल वर्मा द्वारा रचित गीत पंछिड़ा ने किसानो को प्रोत्साहित किया।
✍ विजय सिंह पथिक ने कानपुर से छपने वाले समाचार पत्र प्रताप के माध्यम से इस आंदोलन को समस्त उतरी भारत मे फैला दिया।
✍ प्रताप समाचार पत्र का सम्पादन गणेश शंकर विधार्थी करते थे।

👉 बिजौलिया किसान आंदोलन के लेख निम्न समाचार पत्रो मे भी छापे गये।


(1) प्रयाग से अभ्युदय समाचार पत्र

(2) कलक्ता से विश्व मित्र समाचार पत्र
(3) महाराष्ट्र से मराठा समाचार पत्र (अग्रेजी भाषा) व केसरी समाचार पत्र (मराठी भाषा) इन दोनो समाचार पत्रो के सम्पादक बाल गंगाधर तिलक थे।
✍ इस आंदोलन के दौरान गाँधी जी ने अपने निजि सचिव भुला देसाई को विजय सिंह पथिक को बुलाने हेतु मेवाड़ भेजा।
✍ परिणाम स्वरूप विजय सिंह पथिक सन् 1920 मे नागपुर अधिवेशन मे भाग लेने के लिए पँहुचे।
✍ सन् 1919 मे वर्धा (महाराष्ट्र) मे राजस्थान सेवा संघ कि स्थापना कि
✍ बिजौलिया किसान आंदोलन मे किसानो कि तरफ से राजस्थान सेवा संघ ने प्रतिनिधित्व किया था।
✍ राजस्थान सेवा संघ का प्रधान कार्यालय सन् 1921 मे विजय सिंह पथिक ने अजमेर मे बनाया था

👉 राजस्थान सेवा संघ के निर्देशन मे 2 समाचार पत्र निकाले गए

✍ राजस्थान केसरी व नवीन राजस्थान ये दोनो समाचार पत्र अजमेर से राजस्थान सेवा संघ द्वारा प्रकासित किये जाते थे।

✍ ब्रिटिश सरकार ने बिजौलिया किसान आंदोलन कि समस्याओ कि जाँच हेतु न्याय मुर्ति बिंदुलाल भट्टाचार्य कि अध्यक्षता मे एक अायोग गठन किया गया।

✍ इस आयोग ने किसानो के पक्ष मे अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कि थी।
✍ 4 फरवरी 1922 को ए.जी.जी. रोबर्ट हाॅलैण्ड स्वंय बिजौलिया पहुचे 11 फरवरी 1922 को रोबर्ट हाॅलैण्ड को अथक प्रयासो से किसानो और जागीरदारो को मध्य समझौता हुआ।

👉 इस समझौते के अनुसार-

✍ 84 लाग-बाग को घटाकर 35 लाग-बाग कर दी गई।

✍ इस आंदोलन के दौरान जिन किसानो को जैल मे बंद किया गया था उन्हे रिहा कर दिया गया।
✍ इस समझौते मे किसानो की तरफ से राजस्थान सेवा संघ की और से प्रतिनिधित्व माणिक्य लाल वर्मा और रामनारायण चौधरी आदि उपस्थित हुए।

(स) बिजौलिया किसान आंदोलन का तीसरा चरण-( 1923-1941 तक )

✍ 10 सितम्बर 1923 को बेगू किसान आंदोलन के दौरान विजय सिंह पथिक को कैद कर लिया गया।

✍ माणिक्य लाल वर्मा, जमनालाल बजाज के साथ 1929 मे विजय सिंह पथिक के मतभेद हो गये जिस कारण विजय सिंह पथिक इस आंदोलन से अलग हो गया।

✍ तीसरे चरण का नेतृत्व जमनालाल बजाज और हरिभाऊ उपाध्याय के द्वारा किया गया।
✍ 21 अप्रेल 1931 को माणिक्य लाल वर्मा ने गाँधी जी की तकनीक पर इस सत्याग्रह को प्रारम्भ किया।
✍ 1941 ई. मे तीन व्यक्तियो ( 1. मेवाड़ के पोलिटिक्ल एजेंट-विलिक्सन, 2. मेवाड़ राजस्व मंत्री-मोहनलाल, 3. मेवाड़ प्रधानमंत्री-वी.राघवाचार्य )  कि मध्यस्ता के कारण यह आंदोलन समाप्त हो गया।
✍ राजस्थान मे किसान आंदोलन का जनक साधु सीताराम दास था।
✍ भारत मे किसान आंदोलन का जनक विजय सिंह पथिक था।
✍ आंदोलन के दौरान विजय सिंह पथिक को महात्मा की संज्ञा प्रदान की गई।
✍ यह आंदोलन भारत मे सबसे लम्बी अवधि ( 44 वर्षो ) तक चलने वाला किसान आंदोलन था।

बेंगू किसान आंदोलन राजस्थान

2. बेगू किसान आंदोलन-

✍ वर्तमान मे बेगू भीलवाड़ा मे है जो प्रारम्भ मे मेवाड़ रियासत के अधिन था।

✍ बेगू किसान आंदोलन बिजौलिया किसान आंदोलन से प्रभावित था।
✍ बेगू के किसानो से 25 प्रकार की लाग-बाग ली जाती थी।
✍ लगान की दर ऊँची होने के कारण और गलत भू-राजस्व की लाग-बाग व्यवस्था के कारण बेगू के किसानो ने भीलवाड़ा मे मैनाल के भैरूकुण्ड मे एक विशाल किसान सम्मेलन हुआ और इसी घटना से बेगू किसान आंदोलन का प्रारम्भ माना जाता है।
✍ इस आंदोलन का नेतृत्व विजय सिंह पथिक के कहने पर राजस्थान सेवा संघ के मंत्री रामनारायण चौधरी द्वारा किया गया।

✍ रामनारायण चौधरी ने किसानो की ओर से दी गई मांगे रखी-


1. किसान फसलो का कुँता नही करवाएंगे।
2. किसान नये भूमी बंदोबस्त के आधार पर ही कर देंगे।

👉 बेगू किसान आंदोलन के अन्य तथ्य-

✍ बेगू किसान आंदोलन कि जाँच हेतु कमीश्नर ट्रेन्च की अध्यक्षता मे 1922 ई. मे ट्रेन्च आयोग का गठन किया गया।
✍ ट्रेन्च आयोग ने बेगू कि 25 लाग-बाग से केवल 4 लाग-बाग को ही दोषपुर्ण बताया।

✍ ट्रेन्च आयोग की रिपोर्ट का विरोध करने के लिए 13 जुलाई 1923 को गोविंदपुरा गाँव मे किसानो का एक विशाल सम्मेलन हुआ इस सम्मेलन पर कमीश्नर ट्रेन्च के आदेश पर गोलिया चलाई गई जिसमे रूपा जी व कृपा जी नामक दो किसान शहीद हो गए।
✍ इस घटना के बाद विजय सिंह पथिक बेगू पँहुचे परन्तु 10 सितम्बर 1923 को विजय सिंह पथिक को गिरफदार कर लिया गया और यह आंदोलन असफल रहा।
✍ इस आंदोलन मे सर्वाधिक गुर्जर जाति ने भाग लिया।

3. बूंदी किसान आंदोलन- (1922-23)

✍ बूंदी किसान आंदोलन मे महिलाओ का नेतृत्व अंजना चौधरी द्वारा किया गया।

✍ बूंदी का नित्यानन्द स्वामी स्थाई किसान नेता था जिसने किसानो मे जन जागृती जागृत की थी।
✍ 17 फरवरी 1929 को विजय सिंह पथिक राॅबर्ट हाॅलेण्ड से मिले और किसानो के लिए एक समान जनक समझौता करवाया।
✍ बूंदी किसान आंदोलन का नेतृत्व भवरलाल सोनी द्वारा किया गया था।
✍ बूंदी किसान आंदोलन को बरड़ किसान आंदोलन भी कहा जाता है।

👉 डाबी काण्ड-

✍ 2 अप्रेल 1923 को बूंदी के डाबी गाँव मे किसानो ने एक सभा का आयोजन किया।

✍ इस सभा पर  पुलिश अधिक्षक इकराम हुसैन के आदेश पर सैनिको द्वारा गोलिया चलाई गई जिसमे नानक जी भील और देविलाल गुर्जर शहीद हो गये।
✍ जिस समय नानक जी भील को गोली लगी उस समय नानक जी भील विजय सिंह पथिक द्वारा रचित झण्डा गीत गा रहे थे।
✍ इकराम हुसैन को राजस्थान का जनरल डायर कहा जाता है।
✍ माणिक्य लाल वर्मा ने नानक जी भील कि याद मे अर्जी शीर्षक नामक एक गीत लिखा।

4. अलवर किसान आंदोलन-

✍ यह किसान आंदोलन तीन चरणो मे सम्पन हुआ।

(अ) नीमू चाणा किसान आंदोलन।
(ब) मेव किसान आंदोलन।
(स ) 1941-47 के मध्य प्रजामण्डल के दौरान उदारवादी आंदोलन।

(अ) नीमू चाणा किसान आंदोलन

✍ सन् 1922 मे अलवर के महाराजा जयसिंह ने इजारा पद्धति के अन्तर्गत भू-राजस्व को बढ़ा दिया।

✍ इजारा पद्धति सर्वप्रथम किर्नवालिस ने लागू की थी पहली बार यह पद्धति सन् 1876 मे लागू हुई थी।
✍ माधवसिंह और गोविंद नामक किसानो द्वारा इसकी सिकायत क्षेत्रीय महासभा दिल्ली को कि गई और इसके विरूद्ध पुकार नामक समाचार पत्र मे लेख छपवाये।
✍ 14 मई 1925 को किसानो ने अलवर जिले कि बानसूर तहसिल मे नीमूचाणा गाँव मे एक विशाल सभा का आयोजन किया।
✍ इस विशाल सभा पर कमांडर छाजूसिंह के आदेश पर गोलिया चलाई गई जिसमे लगभग 156 किसान मारे गये।
✍ महात्मा गाँधी ने इस हत्याकाण्ड को दौहरा डायर शाही कि संज्ञा दी।
✍ गाँधी जी ने इस हत्याकाण्ड को जलियावाला बाग हत्याकाण्ड से झगन्य काण्ड बताया है।
✍ राजस्थान सेवा संघ ने इस हत्याकाण्ड कि जाँच करवाई और 31 मई 1925 को अजमेर से छपने वाले समाचार पत्र तरूण राज मे अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कि।
✍ रामनारायण चौधरी ने व्यक्तिगत रूप से इस हत्याकाण्ड कि जाँच कि और इसे नीमू चाणा हत्याकाण्ड कि संज्ञा दी।
✍ लाहौर से छपने वाले समाचार पत्र रियासत मे इस हत्याकाण्ड को जलियावाला बाग हत्याकाण्ड भी कहा है।
✍ इस नीमू चाणा हत्याकाण्ड का असली दोषी पंजाब पुलिश का अधिकारी गोपालदास था।
✍ 18 नवम्बर 1925 को किसानो और महाराजा जयसिंह के मध्य समझौता हुआ जिसमे महाराजा जयसिंह ने किसानो कि सभी मांगो स्वीकार कर ली और यह आंदोलन समाप्त हो गया।

(ब) मेव किसान आंदोलन

✍ मेव किसान आंदोलन मे जन जागृती मोहमद अली द्वारा सन् 1932 मे अजुमन-ए-खादी-मुल इस्लाम नामक संस्था से जागृत कि गई।

✍ सन् 1932 मे हरियाणा के गुड़गाँव के यासिन अली के द्वारा मेव जाति मे जन जागृती जागृत कि गई।

5. मारवाड़ किसान आंदोलन

✍ मारवाड़ राजपुताने कि सबसे बड़ी रियासत थी।

✍ यहा पर किसानो को तीन प्रकार के शासन का विरोद्ध करना पड़ा।
(1) राजा
(2) अंग्रेज
(3) जागीदार
✍ सन् 1915 मे मारवाड़ मे राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक जागृती लाने के लिए मरूधर मित्र हितकारणी सभा का गठन किया गया और यह मुल रूप से राजनैतिक संगठन था।
✍ सन् 1920-21 मे मारवाड़ मे तोल आंदोलन प्रारम्भ किया गया। 
✍ सन् 1920 मे भ्रष्ट नोकरशाही और अराजकता के विरूद्ध चांदमल खुराना/सुराणा ने मारवाड़ सेवा संघ कि स्थापना कि।
✍ सन् 1923 मे जयनारायण व्यास द्वारा मारवाड़ हितकारणी सभा का गठन हुआ।
✍ जो मारवाड़ सेवा संघ का हि परिवर्तित नाम था।
✍ इस मारवाड़ हितकारणी सभा का अध्यक्ष चांदमल खुराना/सुराणा को बनाया गया।
✍ इस सभा के माध्यम से जयनारायण व्यास ने लगान कि ऊँची दर, बेगार के विरूद्ध व मारवाड़ कि आर्थिक स्थिति के लिए जन साधारण को जागृत किया।
✍ मारवाड़ हितकारणी सभा के विरोध मे सन् 1924 मे राजभक्त देश हितकारणी सभा का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष किशनलाल बोपाना थे।
✍ जयनारायण व्यास ने यंग इण्डिया समाचार पत्र के माध्यम से मारवाड़ शीर्षक नाम से आंदोलन जारी रखा।
✍ मारवाड़ हितकारणी सभा द्वारा किसानो को जागृत करने के लिए दो पत्रिकाए निकाली गई।
(1) पोपा बाई की पोल।
(2) मारवाड़ की अवस्था।
✍ सन् 1931 मे मारवाड़ युथ लीग कि स्थापना कि गई।
✍ सन् 1938 मे मारवाड़ लोक परिषद का गठन काया गया।
✍ मारवाड़ लोक परिषद को मारवाड़ मे किसान आंदोलन कि जननी माना जाता है।
✍ मारवाड़ मे जन जागृती का जनक जयनारायण व्यास को माना जाता है।
✍ दिसम्बर 1938 मे गुजरात के हरिपुरा मे कांग्रेस का अधिवेशन हुआ और इस अधिवेशन मे यह तय किया गया कि कांग्रेस राजपुताना कि रियासतो के आंदोलन का समर्थन करेगी।
✍ इस अधिवेशन कि अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस ने कि थी।
✍ 28 मार्च 1942 को मारवाड़ लोक परिषद के द्वारा समस्त मारवाड़ मे उतरदायी सरकार दिवस मनाने कि घोषणा कि गई।
✍ 13 मार्च 1947 को डिडवाना ( नागौर ) के डाबड़ा गाँव मे किसानो कि सभा पर सरकार द्वारा गोलिया चलई गई जिसमे अनेक लोग मारे गये।


✍ डाबड़ा काण्ड कि आलोचना निम्न समाचार पत्रो मे कि गई।


(1) वन्दे मातृम समाचार पत्र (मुम्बई)
(2) हिन्दुस्तान टाईमस समाचार पत्र (दिल्ली)
(3) प्रजा सेवक समाचार पत्र (जोधपुर)
(4) लोकवाणी समाचार पत्र (जयपुर)
✍ डाबड़ा समेलन का आयोजन मथुरादास द्वारा किया गया।
✍ 6 मार्च 1949 को मारवाड़ टेंनेसी एक्ट पारित हुआ जिसमे किसानो को जमीनो का मालिना हक दे दिया गया व इसी के साथ ये आंदोलन समाप्त हो गया।

6. बीकानेर रियासत मे किसान आंदोलन

✍ बीकानेर किसान आंदोलन का मुख्य कारण आबीयाना कर (जल कर) था।

✍ गंग नहर के पानी को लेकर किसानो आंदोलन किया गया था जिसमे महाराजा गंगा सिंह ने जागीदारो को समर्थन किया।
✍ गंग नहर का निर्माता गंगा सिंह हि था जिन्होने सन् 1925 मे इस नहर कि निव रखी थी।
✍ इस नहर का सुभारम्भ अकटुबर 1927 को किया गया।
✍ गंग नहर के क्षेत्र के किसानो ने जमीदार एसोसियसन का गठन किया।
✍ बीकानेर किसान आंदोलन का सर्वप्रथम विरोध सन् 1937 मे जीवनराम  के द्वारा किया गया था।
✍ यह विरोध लगान कि गलत दर व बैगार प्रथा के विरूद्ध था जिसमे जीवनराम का साथ प्रजामण्डल द्वारा भी दिया गया।
✍ दुधवा खारा (चरू) मे किसान आंदोलन का नेतृत्व सन् 1945 मे हनुमान सिंह द्वारा किया गया।
✍ इस समय जागीदार सुरजमल था व राजा शार्दुलसिंह था।

👉 कागड़ा काण्ड-

✍ कागड़ा रतनगढ़ का एक छोटा सा गाँव है जहा सन् 1946 मे अकाल के बावजुद भी जागीदारो ने जबरन भूमी कर वसुल किया।
✍ किसानो द्वारा विरोध किये जाने पर गोलिया चलाई गई जीस कारण ही 6 जुलाई 1946 को बीकानेर दिवस मनाया गया।
✍ कागड़ा काण्ड कि घटना के बाद ही बीकानेर दिवस 6 जुलाई 1946 को मनाया गया।
✍ सन् 1948 मे बीकानेर लोक मण्डल कि स्थापना कि गई।

👉 किसान आंदोलनो के अन्य तथ्य-

✍ जकात आंदोलन को शेखावाटी किसान आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

✍ शेखावाटी किसान आंदोलन का नेतृत्व रामनारायण चौधरी के द्वारा किया गया था।
✍ सन् 1931 मे क्षेत्रीय किसान जाट महासभा का गठन किया गया।
✍ सन् 1934 मे देशराज के नेतृत्व मे सीकर किसान आंदोलन



राजस्थान के किसान आंदोलन के प्रश्न


प्रश्न 1 निम्न में से कौन सा समाचार-पत्र 1920 में विजयसिंह पथिक ने वर्धा से प्रकाशित किया था –

A) नवीन राजस्थान
B) तरूण राजस्थान
C) राजस्थान केसरी
D) नवजीवन
उत्तर. राजस्थान केसरी

प्रश्न 2 “अंजुमन-खादिम-उल-इस्लाम” की स्थापना निम्न में से किस रियासत में हुई थी –

A) अजमेर
B) जयपुर
C) जोधपुर
D) अलवर
उत्तर. अलवर

प्रश्न 3 1883 में गोविन्द गिरी ने मेवाड़, डूंगरपुर, गुजरात और मालवा के भील और गिरासिया जाति के लोगों को संगठित करने के लिए किस सभा की स्थापना की –

A) सम्प सभा
B) नीमड़ा सभा
C) मीणा क्षेत्रिय महासभा
D) परोपकारिणी सभा
उत्तर. सम्प सभा

प्रश्न 4 ‘मानगढ़ धाम’ जो राजस्थान का ‘जलियांवाला बाग’ नाम से प्रसिद्ध है कहां स्थित है –

A) राजसमंद
B) बांसवाडा
C) अलवर
D) बीकानेर
उत्तर. बांसवाडा


प्रश्न 5 मोतीलाल तेजावत सर्वाधिक योग्य नेता माने जाते हैं –

A) किसान आंदोलन
B) मजदूर आंदोलन
C) भील आंदोलन
D) छात्र आंदोलन
उत्तर. भील आंदोलन

प्रश्न 6 निम्न लिखित में से कौन सी घटना को महात्मा गांधी ने ‘डायर के कृत्य से दुगनी वीभत्स’ काण्ड बताया –

A) नीमचाणा घटना, मई 1925 की
B) चन्दावल की घटना, मार्च 1942
C) डाबड़ा की घटना, मार्च 1947
D) बरड़ की घटना, जून 1922
उत्तर. नीमचाणा घटना, मई 1925 की

प्रश्न 7 सीताराम साधु का निम्न में से किस आन्दोलन से संबंध था –

A) शेखावाटी कृषक आन्दोलन
B) हाड़ौती कृषक आन्दोलन
C) बिजोलिया कृषक आन्दोलन
D) मेवात कृषक आन्दोलन
उत्तर. बिजोलिया कृषक आन्दोलन

प्रश्न 8 मेवाड़ भील कोर्प किस वर्ष स्थापित की गयी थी –

A) 1818
B) 1852
C) 1832
D) 1837
उत्तर. 1837

प्रश्न 9 1890 के दौर में बिजौलिया के जागीरदार कौन थे –

A) चौहान
B) परमार
C) राणावत
D) शक्तावत
उत्तर. परमार

प्रश्न 10 निम्न में से कौन सा स्थान 1920 के किसान आन्दोलनों के दौरान शेखावटी के पंचपाणे ठिकानों में से एक नहीं था –

A) डूंडलोद
B) मलसीसर
C) मन्डावा
D) श्रीमाधोपुर
उत्तर. श्रीमाधोपुर

प्रश्न 11. स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में देशी रियासत थी

A) 16
B) 12
C) 19
D) 18
उत्तर.  19

प्रश्न 12. राजस्थान मध्य भारत सभा की स्थापना अजमेर में किस वर्ष हुई थी

A) 1923
B) 1922
C) 1920
D)1929
उत्तर.  1920

प्रश्न 13. जयपुर में सर्वप्रथम जनचेतना का सूत्रपात किसने किया

A) अर्जुन लाल सेठी
B) केसरी सिंह बाहरठ
C) हरीभाई कीकर
D) मोतीलाल तेजावत
उत्तर.  अर्जुन लाल सेठी

प्रश्न 14. डूंगरजी व जवारजी किस जिले के थे

A) सिरोही
B) सीकर
C)कोटा
D) भीलवाड़ा
उत्तर.  सीकर

प्रश्न 15. ट्रेंच कमीशन किस के संबंधित है

A) बेंगू किसान आंदोलन से
B) शेखावाटी किसान आंदोलन से
C) बिजोलिया किसान आंदोलन से
D) निमुचाणा घटना से
उत्तर.  बेंगू किसान आंदोलन से


प्रश्न 16. बिजोलिया किसान आंदोलन में किस जाति के किसान सर्वाधिक संख्या में थे

A) धाकड़
B)भील
C) गरासिया
D) उपाध्याय
उत्तर.  धाकड़

प्रश्न 17. राजस्थान में स्वतंत्रता आंदोलन के समय कौन सा शहर पत्रकारिता का मुख्य केंद्र था

A) जयपुर
B) अलवर
C) भीलवाड़ा
D)अजमेर
उत्तर.   अजमेर

प्रश्न 18. राजपूताना मध्य भारत सभा नामक राजनीतिक संस्था की स्थापना कहां हुई

A) पंजाब
B) दिल्ली
C) हरियाणा
D) गुजरात
उत्तर.   दिल्ली

प्रश्न 19. मोतीलाल तेजावत द्वारा एकी आंदोलन कहां से प्रारंभ किया गया

A) कोटा
B)अलवर
C) चित्तौड़गढ़
D) सिरोही
उत्तर.   चित्तौड़गढ़

प्रश्न 20. रस्तापाल हत्याकांड किस जिले से संबंधित है

A) डूंगरपुर
B) बांसवाड़ा
C) ब्यावर
D)अजमेर
उत्तर.   डूंगरपुर

प्रश्न 21. राजस्थान के भीलों के लिए गोविंद गुरू द्वारा गठित सामाजिक-धार्मिक संगठन निम्नलिखित में से कौन सा है –

A) संप सभा
B) ब्रह्म समाज
C) ग्राम सभा
D) आत्मीय सोसाइटी
उत्तर. संप सभा

प्रश्न 22. ‘ऊपरमाल किसान पंचबोर्ड’ की स्थापना की गई-

A) 1915
B) 1916
C) 1917
D) 1918
उत्तर. 1917

प्रश्न 23. किस आन्दोलन के दौरान जागीरदार व किसानों के मध्य हुए समझौते को बोल्शेविक की संज्ञा दी गई-

A) अलवर किसान आन्दोलन
B) बेगूं किसान आन्दोलन
C) बिजौलिया किसान आन्दोलन
D) दूधवा-खारा किसान आन्दोलन
उत्तर. बेगूं किसान आन्दोलन

प्रश्न 24. नीमूचणा हत्याकाण्ड, जिसे गांधीजी ने ‘जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड से भी वीभत्स’ कहा है, कब हुआ-

A) 14 मई, 1925
B) 14 मई, 1926
C) 14 जुलाई, 1925
D) 14 जुलाई, 1926
उत्तर. 14 मई, 1925


प्रश्न 25. नीमड़ा हत्याकाण्ड कब घटित हुआ-

A) 1922
B) 1923
C) 1924
D) 1925
उत्तर. 1922

प्रश्न 26. बिजोलिया किसान आन्दोलन में किस जाति के किसान सर्वाधिक संख्या में थे-

A) सिखी
B) मनसा
C) मेव
D) धाकड़
उत्तर. धाकड़

प्रश्न 27. बिजोलिया किसान आंदोलन के दौरान प्रवर्तित विद्या प्रचारिणी सभा के प्रवर्तक थे-

A) रामनारायण चौधरी
B) विजय सिंह पथिक
C) माणिक्य लाल वर्मा
D) जमना लाल बजाज
उत्तर. विजय सिंह पथिक

प्रश्न 28 .“मेवाड़ पुकार” 21 सूत्री मांगपत्र का संबंध किससे था-

A) मोतीलाल तेजावत
B) माणिक्यलाल वर्मा
C) विजय सिंह पथिक
D) साधु सीताराम दास
उत्तर. मोतीलाल तेजावत

प्रश्न 29. निम्नलिखित में से किसने डूंगरपुर और वाँसदान में भील आंदोलन का नेतृत्व किया –

A) जमनालाल बजाज
B) अर्जुनलाल सेठी
C) स्वामी गोविन्द गिरि
D) दामोदर दास राठी
उत्तर. स्वामी गोविन्द गिरि


प्रश्न 30. निम्न में से कौन 1921-1922 में मेवाड़ के भीलों के आदिवासी किसान आंदोलन के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में से एक हैं –

A) मोतीलाल तेजावत

B) रावत केशरी सिंह

C) रावत जोधसिंह

D) हरलाल सिंह

उत्तर. मोतीलाल तेजावत


प्रश्न 31. स्वतंत्रता सेनानी विजय सिंह पथिक निम्न में से किस समाचार पत्र के संपादक थे-

A) हरिजन

B) राजस्थान केसरी

C) तलवार

D) समाचार दर्पण

उत्तर. राजस्थान केसरी


प्रश्न 32. 1916 में निम्न में से किसने बिजोलिया किसान पंचायत का आयोजन किया था –

A) नानजी पटेल

B) विजय सिंह पथिक

C) माणिक लाल वर्मा

D) मदन मोहन मालवीय

उत्तर. विजय सिंह पथिक


प्रश्न 33 राजस्थान के भीलों के लिए गोविंद गुरू द्वारा गठित सामाजिक-धार्मिक संगठन निम्न में से कौन सा था –

A) संप सभा

B) ब्रह्म समाज

C) ग्राम सभा

D) आत्मीय सोसाइटी

उत्तर. संप सभा


प्रश्न 34 1922 में राजपूताना में गवर्नर जनरल के एजेंट निम्न में से कौन थे –

A) चाल्र्स मेटकाफ

B) रिचर्ड वेलेस्ले

C) राॅबर्ट हाॅलैंड

D) वाॅरेन हेस्टिंग्स

उत्तर. राॅबर्ट हाॅलैंड


प्रश्न 35 बांसवाड़ा में स्थापित राजस्थान के राज्य जनजातीय विश्वविद्यालय का नाम बदलकर …………. के नाम पर रखा गया है –

A) भोगीलाल पंड्या

B) गोविंद गुरू

C) मोतीलाल तेजावत

D) माणिक्य लाल वर्मा

उत्तर. गोविंद गुरू


प्रश्न 36 विजयसिंह पथिक का मूल नाम क्या था –

A) भूपसिंह

B) नरेन्द्रनाथ

C) मूलशंकर

D) रामदास

उत्तर. भूपसिंह


प्रश्न 37 दक्षिण राजस्थान में भगत आंदोलन का संस्थापक कौन थे –

A) ठक्कर बापा

B) मोतीलाल तेजावत

C) गोविन्द गिरि

D) विजयसिंह पथिक

उत्तर. गोविन्द गिरि


प्रश्न 38 मेवाड़, डूंगरपुर, सिरोही, बांसवाड़ा में स्वदेशी आंदोलन का नेतृत्व निम्न में से किसने किया था –

A) दामोदरदास राठी

B) अर्जुनलाल सेठी

C) स्वामी गोविन्द गिरि

D) जमनालाल बजाज

उत्तर. स्वामी गोविन्द गिरि


प्रश्न 39 सन् 1947 ई. में वीरबाला कालीबाई किस घटना में शहीद हुई थी-

A) पुनवाड़ा काण्ड में

B) काब्जा काण्ड में

C) रास्तापाल काण्ड में

D) डाबरा काण्ड में

उत्तर. रास्तापाल काण्ड में


प्रश्न 40 सम्प सभा की स्थापना किसने की –

A) माणिक्यलाल वर्मा

B) जयनारायण व्यास

C) बलवंतसिंह मेहता

D) गोविन्द गिरी

उत्तर. गोविन्द गिरी


प्रश्न 41. किसान पंचायत जिनकी स्थापना सन 1916-1917 ई में की गई थी इस संगठन का संबंध था

A) नीमचाणा कांड

B) डाबड़ा काण्ड

C) बिजोलिया

D) चंडावल कांड

उत्तर.  बिजोलिया


प्रश्न 42. कौन सी घटना को महात्मा गांधी ने डावर के कृत्य से दुगनी वीभत्स कांड बताया

A) नीमुचाणा घटना

B) मानगढ़ पहाड़ी हत्याकाण्ड

C)हाडौती

D) बिजौलिया

उत्तर.   नीमुचाणा घटना


प्रश्न 43. बिजोलिया आंदोलन से कौन संबंद्धत नहीं था

A) विजय सिंह पथिक

B) रामनारायण चौधरी

C) हरिभाई किकर

D गोविंद राम

उत्तर.   गोविंद राम


44. मेवाड़ का बिजोलिया आंदोलन किसके नेतृत्व में हुआ

A) विजय सिंह पथिक

B) रामनारायण चौधरी

C) जय नारायण व्यास

D) कृपा जी

उत्तर.  विजय सिंह पथिक


प्रश्न 45. मारवाड़ यूथ लीग के संस्थापक कौन थे

A) केसरी सिंह बारहठ

B) गोपाल सिंह खरवा

C) मोतीलाल तेजावत

D) जय नारायण व्यास

उत्तर.   जय नारायण व्यास


प्रश्न 46. बेंगू किसान आंदोलन के नेता जो शहीद हुए

A) रामनारायण चौधरी

B) कृपा जी

C) विजय सिंह पथिक

D) सीताराम दास

उत्तर.  कृपा जी


प्रश्न 47. राजस्थान जाट क्षत्रिय सभा की स्थापना हुई

A) 1930

B)1937

C) 1931

D) 1923

उत्तर.   1931


प्रश्न 48. निमुचाणा को किस आंदोलन के संदर्भ में याद किया जाता है

A) बिजोलिया किसान आंदोलन

B) अलवर किसान आंदोलन

C) किसानों पर आरोपित करना

D) मानगढ़ पहाड़ी हत्याकाण्ड

उत्तर. अलवर किसान आंदोलन


प्रश्न 49. कौनसा स्थान किसान आंदोलन से जुड़ा नहीं है

A) बेंगु

B) बिजोलिया

C) रुपवास

D) बानसूर

उत्तर.  रुपवास


प्रश्न 50. 18 वीं शताब्दी के मध्य में जाट वंश का किन रियासतों पर अधिपत्य था

A) कोटा बूंदी

B) धौलपुर भरतपुर

C) जोधपुर जैसलमेर

D) बाड़मेर बीकानेर

उत्तर.  धौलपुर भरतपुर





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