राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन
प्रजामण्डल का अर्थ ( Praja Mandal Meaning
राजस्थान प्रजामंडल ट्रिक
प्रजा का मण्डल (संगठन)। 1920 के दशक में ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ रहे थे। इसी के कारण किसानों द्वारा विभिन्न आंदोलन चलाये जा रहे थे। साथ ही गांधी जी के नेतृत्व में देश में स्वतंत्रता आन्दोलन भी चल रहा था। इन सभी के कारण राज्य की प्रजा में जागृती आयी और उन्होंने संगठन(मंडल) बनाकर अत्याचारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू किया जो प्रजामण्डल आंदोलन कहलाये।
इन आन्दोलनो का मुख्य उद्देश्य रियासती शासन के अधीन उत्तरदायी शासन प्राप्त करना था। उत्तरदायी शासन से तात्पर्य संघ बनाने, भाषण देने आम सभा करने और जुलूस निकालने आदि की स्वतंत्रता दी जाये।
राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलनों को स्थापित करने का बीज सुभाष चंद्र बॉस द्वारा आयोजित किया गया था । जब 1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में जोधपुर की यात्रा की थी।
इसकी पृष्ठभूमि राजस्थान राज्यों में चल रहे कृषक आन्दोलन थे। कृषक आन्दोलन उस व्यापक असन्तोष के अंग थे, जो प्रचलित राजनीतिक और आर्थिक ढांचे में विद्यमान था। कृषकों ने विभिन्न आन्दोलनों के माध्यम से उस समय के ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचारों को तथा कृषि संबंध में आये विचार को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जागीरदारी व्यवस्था उस पैतृकवादी स्वरुप को छोड़कर शोषणात्मक स्वरुप ले चुकी थी। प्रचलित व्यवस्था में असन्तोष व्यापक था। उनके असन्तोष को मूर्तरूप देने के लिए संगठन की आवश्यकता थी। 1919 ई. में राजस्थान सेवा संघ के स्थापित हो जाने से जनता की अभिव्यक्ति के लिए एक सशक्त माध्यम मिल गया।
1920 से 1929 तक राजस्थान में होने वाले कृषक आन्दोलन का नेतृत्व इसी संघ के द्वारा किया गया था
राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन ( Praja Mandal movement in Rajasthan )
जयपुर प्रजामण्डल (1931)
बूंदी प्रजामण्डल (1931)
मारवाड़ प्रजामण्डल (1934)
कोटा प्रजामण्डल (1938)
धौलपुर प्रजामण्डल (1936)
बीकानेर प्रजामण्डल (4 अक्टूबर 1936)
शाहपुरा (18 अप्रेल 1938)
मेवाड़ प्रजामण्डल (24 अप्रेल 1938)
अलवर प्रजामण्डल (1938)
भरतपुर प्रजामण्डल (मार्च 1938)
सिरोही प्रजामण्डल (22 जनवरी 1939)
करौली प्रजामण्डल (अप्रेल 1938)
किशनगढ़ प्रजामण्डल (1939)
कुशलगढ़ प्रजामण्डल (अप्रेल 1942)
बांसवाड़ा प्रजामण्डल (1943)
डूंगरपुर प्रजामण्डल (26 जनवरी 1944)
प्रतापगढ़ प्रजामण्डल (1945)
जैसलमेर प्रजामण्डल (15 दिसम्बर 1945)
झालावाड़ प्रजामण्डल (25 नवम्बर 1946)
Jaipur Praja Mandal ( जयपुर प्रजामण्डल )
किसने जयपुर में प्रजामंडल का गठन किया
स्थापना कपूरचंद पाटनी की अध्यक्षता में 1931 में गठित पर्याप्त जन सहयोग नही मिलने के कारण ये प्रजामण्डल लगभग 5 वर्षो तक निष्क्रिय रहा जो राजस्थान का प्रथम प्रजामंडल था।
पुर्नगठन 1936 ईस्वी में सेठ जमनालाल लाल बजाज व हीरालाल के प्रयासों से चिरंजीलाल मिश्र की अध्यक्षता में पुनर्गठन किया गया जमनालाल लाल बजाज का जन्म 4 नवंबर 1889 को सीकर जिले के काशी का बांस नामक गाँव मे हुआ। राजस्थान के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री बने, भारत छोड़ो आन्दोलन मे भाग न लेकर जयपुर के प्रधानमंत्री मिर्जा स्माईल से समझौता किया जिसे Gental Man Agreement कहा जाता है
इस नवगठित प्रजामण्डल ने 1937 से कार्य करना प्रारंभ कर दिया, 1938 ईस्वी में जमनालाल बजाज इस प्रजामण्डल के अध्यक्ष बने। 8 से 9 मई 1938 को इस प्रजामण्डल का प्रथम अधीवेशन हुआ।
हीरालाल शास्त्री जी के प्रयासों से शेखावाटी किसान सभा का विलय जयपुर प्रजामण्डल में कर दिया गया। प्रलय प्रतिक्षा नामों नमः शास्त्री जी का लोकप्रिय गीत था
Jaipur Public Council Act of 1939 ( जयपुर लोक परिषद अधिनियम )
इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया के जो भी गैर सरकारी संस्थाएं है उनका सरकार में पंचीयन करवाना आवश्यक है 1 फरवरी 1939 को जयपुर प्रजामण्डल को अवैध घोषित कर जमनालाल बजाज का जयपुर में प्रवेश निषेध किया गया , जमनालाल बजाज तथा अन्य सभी मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया
बंदी नेताओं के साथ सरकार का व्यवहार अभी भी अनुचित ही था। जमनालाल बजाज को मोरा सागर डाक बंगले में पढ़ने के लिये अखबार तक नही दिया जाता था 1 फरवरी 1939 को प्रजामण्डल ने सत्याग्रह प्रारंभ किया जिसका नेतृत्व चिरंजीलाल मिश्र कर रहे थे
स्त्रियों ने भी अपना सहयोग दिया , हीरालाल शास्त्री जी की पत्नी तथा दुर्गा देवी शर्मा का नाम इन मे उल्लेखनीय है हीरालाल शास्त्री की घोषणा के अनुसार 12 मार्च 1939 को “जयपुर दिवस” मनाया गया। सरकार द्वारा प्रजामण्डल को मान्यता देने व गाँधी के निर्देश 18 मार्च 1939 को सत्याग्रह स्थगित कर दिया गया।
Jodhpur Prajamandal ( जोधपुर प्रजामंडल )
मरवाड़ प्रजामण्डल 1934 मे भंवरलाल सरार्फ ,अभयमल जैन एवम अचलेश्वर प्रसाद द्वारा स्थपना । मारवाड़ लोक परिषद 16 मई 1938 रणछोड़ दास गट्टानी(अध्यक्ष),अभयमल जैन (महामंत्री)भीमराज पुरोहित, जयनारायण व्यास ,अचलेश्वर प्रसाद शर्मा द्वारा स्थापना ।
1920- चांदमल सुराणा द्वारा मारवाड़ सेवा संघ की स्थापना।
1921- सेवा संघ द्वारा अंग्रेजी तौल चालू करने का विरोध ।
1922-24- राज्य से मादा पशुओं की निकासी का विरोध।
1924 मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना, प्रधानमंत्री सर सुखदेव प्रसाद को हटाने हेतु आंदोलन
1928 मारवाड़ लोक राज्य परिषद के अधिवेशन पर रोक।देशद्रोह के जुर्म में जयनारायण व्यास को 6 वर्ष की कैद।
1931 व्यासजी व अन्य साथी जेल से रिहा।
1937 व्यासजी मारवाड़ से निष्कासित।अचलेश्वर प्रसाद को राजद्रोह के अपराध में ढाई वर्ष की सजा।
16 मई1938 मारवाड़ लोक परिषद की स्थापना
1899 में जन्मे जयनारायण व्यास, राजस्थान के लोकनायक ,शेर, ए राजस्थान मास्टर जी ने 1938 में जोधपुर प्रजामंडल का गठन किया गया।
फरवरी 1939 व्यासजी पर से प्रतिबंध हटा।व्यासजी राज्य सलाहकार मण्डल में शामिल।।
1941 जोधपुर नगरपालिका के चुनाव।परिषद को बहुमत।व्यसजी अध्यक्ष निर्वाचित।
मई 1942 सरकार व परिषद में तनाव।व्यासजी का इस्तीफा।परिषद द्वारा प्रधानमंत्री सर डोनाल्ड फील्ड को हटाने के लिए आंदोलन। 26 मई व्यसजी गिरफ्तार।परिषद का सत्याग्रह।
जून 1942 सत्याग्रहियों द्वारा जेल में दुर्व्यवहार के विरुद्ध भूख हड़ताल। 19 जून1942 बालमुकुन्द बिस्सा की मृत्यु।
अगस्त 1942 लोक परिषद भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल में बंद इन्ही की पेरणा से डीडवाना निवासी बालमुकंद बिस्सा ने जेल में सुधार के लिए भूख-हाफत 8 की जिससे 19 जून 1942 को इनकी मृत्यु ही गई इसलिये इन्हें राजस्थान का जतिन दास कहा जाता हैं।
सितम्बर1945 पण्डित नेहरू जोधपुर आये। नेहरू जी की सलाह पर सर डोनाल्ड फील्ड की जगह सी एस वैंकटाचरी प्रधानमंत्री नियुक्त।
1947 महाराजा उम्मेदसिंह का देहांत। हनुमंतसिंह महाराजा बने। 13 मार्च 1947 डाबड़ा किसान सम्मेलन पर हमला । चुन्नीलाल शर्मा व 4 किसान शहीद। मथुरादास माथुर, द्वारका दास पुरोहित, नृसिंह कछवाहा आदि घायल। अगस्त 1947 महाराजा जोधपुर की महाराजा धौलपुर के मार्फ़त जिन्ना से मुलाकात।
अक्टूबर 1947 वैंकटाचार्य के स्थान पर महाराजा अजीतसिंह प्रधानमंत्री। दिसम्बर1948 में वी पी मेनन व महारजा के बीच जोधपुर के राजस्थान में शामिल होनेके सम्बंध में वार्ता। महाराजा की सहमति । 30 मार्च 1949 सरदार पटेल द्वारा वृहद राजस्थान का जयपुर में उदघाटन।जोधपुर राज्य का अस्तित्व समाप्त।
Mevad Prajamandal ( मेवाड प्रजामंडल )
उदयपुर में प्रजामंडल आंदोलन की स्थापना श्री माणिक्य लाल वर्मा ने की थी मेवाड़ में प्रवेश पर रोक के कारण उन्होंने अजमेर में रहकर प्रजामंडल की स्थापना पूरी योजना बनाई थी
भूरेलाल भैया, हीरालाल कोठारी, रमेश चंद्र व्यास, भवानी शंकर वैद्य आदि के सहयोग से उदयपुर में 24 अप्रैल 1938 को श्री बलवंत बलवंत सिंह मेहता के अध्यक्षता में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना हुई
उदयपुर सरकार द्वारा मेवाड़ प्रजामंडल को 24 सितंबर 1938 को गैरकानूनी घोषित कर दिया परंतु उसी दिन नाथद्वारा में निषेधाज्ञा के बावजूद कार्यकर्ताओं द्वारा जुलूस निकाला गया था
भूरेलाल बया को सड़क केले मेवाड़ का काला पानी में नजरबंद किया गया था गिरफ्तार करके, विजयदशमी के दिन प्रजामंडल कार्यकर्ताओं ने सत्याग्रह प्रारंभ किया क्रांतिकारी रमेश चंद्र व्यास को पहला सत्याग्रह बनकर गिरफ्तार होने का श्रेय प्राप्त है
श्री माणिक्य लाल वर्मा ने मेवाड़ का वर्तमान शासन नामक पुस्तिका छपवाकर मेवाड़ में वितरित की थी लोगों को जागृति लाने के लिए मेवाड़ प्रजामंडल मेवाड़ वासियों से एक अपील नामक पर्चे बांटे थे 24 जनवरी 1939 को मेवाड़ माणिक्य लाल वर्मा की पत्नी नारायणी देवी वर्मा एवं पुत्री प्रजामंडल आंदोलन में भाग लेने के कारण राज्य से निष्कासित कर दिया गया था
मेवाड़ प्रजामंडल में बेकार एवं बेल्ट प्रथा के विरुद्ध अभियान चलाया गया और मेवाड़ सरकार को आंदोलनकारियों के सामने झुकना पड़ा और मेवाड़ की पहली नैतिक विजय है
मेवाड़ प्रजामंडल में कांग्रेस द्वारा 9 अगस्त 1942 में शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग लिया था और 20 अगस्त 1942 को प्रजा मंडल की कार्यसमिति ने मेवाड़ राणा को पत्थर से चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे के भीतर महाराणा ब्रिटिश सरकार के संबंध विच्छेद नहीं करते तो जन आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा
3 मार्च 1947 को मेवाड़ के भावी संविधान की रूपरेखा की घोषणा की गई इसके अनुसार 46 सदस्यों की धारा सभा में 18 स्थान विशिष्ट वर्ग हेतु सुरक्षित किए गए थे और 28 स्थान संयुक्त चुनाव प्रणाली द्वारा जनता से चुने जाने थे 23 मई 1947 को मेवाड़ के वैज्ञानिक सलाहकार के मुंशी द्वारा संविधानिक सुधारों की नई प्रस्तुति दी गई थी जिसमें 56 सदस्य विधान सभा के गठन का प्रावधान था
6 मई 1948 को महाराणा ने अंतिम सरकार बनाने एवं विधानसभा निर्वाचन के बाद उत्तरदाई सरकार का गठन करने की घोषणा की परंतु इसी दौरान 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर राज्य का राजस्थान में विलय हो गया इस प्रकार मेवाड़ प्रजामंडल के प्रयासों के आगे वही सरकार को झुकना पड़ा और धीरे-धीरे उत्तरदाई शासन की स्थापना के कदम उठाने पड़े
Shahpura Prajamandal ( शाहपुरा प्रजामंडल )
शाहपुरा के शासक उम्मेदसिंह के समय राज्य में राष्ट्रीय आंदोलन चला। श्री माणिक्यलाल वर्मा के सहयोग से 18 अप्रैल,1938 को श्री रमेशचन्द्र औझा, लादूराम व्यास व अभयसिंह डांगी के द्वारा शाहपुरा प्रजामंडल की स्थापना की गई।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय प्रजामण्डल ने शासक को अंग्रेजों से संबंध तोड़ने की माँग की। रमेशचंद्र ओझा, लादूराम व्यास व लक्ष्मीनारायण काँटिया को बंदी बनाया गया। शाहपुरा के प्रो. गोकुललाल असादा पहले से ही अजमेर में बंदी थे।
1946 में बन्दियों को रिहा कर शाहपुरा के शासक सुदर्शनदेव ने गोकुललाल असावा की अध्यक्षता में नया विधान तैयार कराया, जिसे 14 अगस्त,1947 को राज्य में लागू कर दिया गया व असावा के नेतृत्व में लोकप्रिय सरकार की स्थापना की।
शाहपुरा राज्य की प्रथम देशी रियासत थी, जिसमे 14 अगस्त, 1947 को जनतांत्रिक व पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना हुई। 27 सितंबर, 1947 को राजाधिराज सुदर्शनदेव ने गोकुल लाल असावा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
पहले शाहपुरा व किशनगढ़ को अजमेर में मिलाने का निर्णय किया गया था, किंतु जनता के विरोध के कारण उसे रद्द कर 25 मार्च, 1948 में शाहपुरा का विलय संयुक्त राजस्थान में हो गया।
Sirohi Prajamandal ( सिरोही प्रजामण्डल )
1934 में वृद्धिशंकर त्रिवेदी द्वारा सिरोही प्रजामंडल स्थापित किया गया लेकिन यह निष्क्रिय था। सिरोही के कुछ कार्यकर्त्ताओं ने बाद में बंबई में 16 अप्रैल 1935 को ‘प्रवासी सिरोही प्रजामंडल’ की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य सिरोही के शासक स्वरुप रामसिंह की छत्रछाया में एक उत्तरदायी सरकार की स्थापना करना था।
कुछ समय पश्चात 22 जनवरी, 1939 को गोकुलभाई भट ने सिरोही में प्रजामंडल की स्थापना की और आंदोलन चलाया, जिसमें कार्यकर्त्ता बंदी बनाए गए। गोकुलभाई भट्ट इस सिरोही प्रजामंडल के अध्यक्ष थे। गोकुलभाई भट्ट को राजस्थान का गाँधी भी कहा जाता है
1942 की अगस्त क्रांति में भी सिरोही में आंदोलन चला। 1946 में तेजसिंह सिरोही की गद्दी पर बैठा, किंतु जनता द्वारा आंदोलन करने पर अभयसिंह को गद्दी पर बैठाया गया।
5 अगस्त, 1949 को आबू पर्वत सिरोही को वापस लौटा दिया गया और मंत्रिमण्डल में प्रजामण्डल का प्रतिनिधि जवाहरमल सिंधी को शामिल किया गया।
Bikaner Prajamandal ( बीकानेर प्रजामंडल )
1913ई. मे बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने बीकानेर राज्य के लिए ‘प्रतिनिधि सभा’ का गठन किया।महाराजा गंगा सिंह ने बीकानेर राज्य मे प्रतिनिधि सभा (रिप्रेजेण्टेटिव असेंबली) की स्थापना की घोषणा कर अगले वर्ष उसके प्रथम अधिवेशन का उद्घाटन किया।
उस समय इसमे कुल 35 सदस्य थे। 1917 ई.मे इसे ‘विधानसभा’ का नाम दिया गया। 1937 ई. तक इसकी सदस्य संख्या बढ़कर 45 कर.दी गई थी। इस प्रकार बीकानेर राजस्थान का पहला राज्य था जिसनें बीकानेर मे प्रजामण्डल आंदोलन को आगे से बढा़कर संरक्षण प्रदान किया।
डी. आर. मानकर ने लिखा-भारत के लिए संघात्मक संविधान के सर तेज बहादुर सप्रू के प्रस्ताव को स्वीकार था।
डाॅ. करणीसिंह लिखते हैं कि बीकानेर गर्व के साथ कह सकता हैं कि यह राजपूताना मे प्रथम राज्य था।
1928ई. मे महाराजा ने ग्राम पंचायतों को दीवानी, फौजदारी और प्रबंध संबंधी निश्चित अधिकार प्रदान किये। 1937 ई. मे महाराजा ने अपने राज्य मे म्युनिसिपल बोर्ड और डिस्टि्क्ट बोर्ड कायम किये। महाराज गंगासिंह जी प्रथम भारतीय नरेश थे जिन्होंने प्रिवीपर्स तथा सिविल लिस्ट पद्धति चालू की।
4 जुलाई 1932 ई.से बीकानेर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम आरंभ कर दिया, जो मार्शल लाॅ की ही भांति कठोर था। 4अक्टूबर,1936 को बीकानेर प्रजामण्डल की स्थापना की मेघाराम वैध को अध्यक्ष बनाया।
मार्च, 1937 मे सरकार ने प्रजामण्डल के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। 22 मार्च 1937 को अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के तत्वाधान मे दिल्ली मारवाड़ी लाईब्रेरी मे एक सभा का आयोजन किया। मछाराम ने ‘कलकत्ता मे बीकानेर राज्य प्रजामण्डल’ की स्थापना की तथा ‘बीकानेर की थोथी पोथी’ नामक पुस्तिका प्रकाशित की।
22 जुलाई,1942 को रघुवरदयाल गोयल के नेतृत्व मे व्यापक जनाधर वाली ‘प्रजा परिषद’की स्थापना हुई। 3 फरवरी,1943 को महाराजा गंगासिंह का निधन हो गया।उनका पुत्र सार्दूलसिंह बीकानेर का राजा हुआ। उसने भी दमन की नीति जारी रखी 21 जून ,1946 को महाराजा ने घोषणा की राज्य मे उतरदायी शासन की स्थापना की जायेगी
बीकानेर मे चना निकासी विवाद: 1947ई.
महाराजा सार्दूलसिंह ने 22 जुलाई,1946 को पं. जवाहरलाल नेहरु को एक पत्र लिखा कि तिरंगा झण्डा काग्रेस का झण्डा हैं। बीकानेर राज्य एक स्वतंत्र ईकाई हैं। इस पर 12 अगस्त ,1946को नेहरू ने महाराजा को पत्र लिखकर उनके विचारों से अपनी सहमति व्यक्त की।
अमर शहीद जीनगर बीरबल सिहं ढालिया: 30जून 1946 को हमेशा हमेशा के लिए अपनी आंखे मूंद कर ली। 1 जुलाई 1946 को शहीद के पार्थिव शरीर का जुलूस निकाला। जिसमे.आजाद हिंद फौज के कर्नल अमरसिहं तिरंगा झण्डा लिये थे, बीकानेर प्रजामंडल ने 17 जुलाई, 1946 को बीरबल दिवस मनाया।
राजस्थान के प्रमुख आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी
प्रश्न गोविंद गिरी द्वारा स्थापित संपसभा का प्रथम सम्मेलन हुआ?
उत्तर मानगढ़ की पहाड़ी पर
प्रश्न मानगढ़ हत्याकांड हुआ था?
उत्तर 17 नवंबर 1993
प्रश्न दुधवाखारा किसान आंदोलन किसके नेतृत्व में किया गया?
उत्तर चौधरी हनुमान सिंह
प्रश्न कौन सी भील महिला राजस्थान की स्वतंत्रता सेनानी थी?
उत्तर काली बाई
प्रश्न बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना कब की गई?
उत्तर 1936 (मक्का ,राम वैद्य के द्वार)
प्रश्न राजस्थान में एकी आंदोलन को किसके नेतृत्व प्रदान किया?
उत्तर मोतीलाल तेजावत
प्रश्न अजमेर में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की गई थी?
उत्तर विजय सिंह पथिक के द्वारा
प्रश्न राजस्थान सेवा संघ की स्थापना कब की गई?
उत्तर वर्धा में (1919)
प्रश्न वीर क्षेत्र में बाबाजी के नाम से जाने जाते थे?
उत्तर मोतीलाल तेजावत
(Important Questions for Rajasthan ke Pramukh Andolan)
प्रश्न 1927 में कुमार मदन सिंह के नेतृत्व में किसानों ने कहा आंदोलन किया था?
उत्तर करौली में
प्रश्न पंडित नैनू राम किस आंदोलन से संबंधित थे?
उत्तर बूंदी बारां किसान आंदोलन (2 अप्रैल 1923)
प्रश्न नींबू चुडा किसान आंदोलन हत्याकांड राजपूताना की किस रियासत में हुआ था?
उत्तर अलवर (14 मई 1925)
प्रश्न मीणाओं ने रियासत काल के किस अधिनियम के विरुद्ध आंदोलन किया?
उत्तर जरायम पेशा (अधिनियम 1930 में)
प्रश्न भगतपंथआंदोलन नई साड़ी आंदोलन स्थापना किसके द्वारा की गई थी?
उत्तर गोविंद गुरु
प्रश्न बिजोलिया आंदोलन का दूसरी बार प्रारंभ होने का कारण था?
उत्तर चंवरी कर
प्रश्न शेखावटी की किस महिला ने किसान आंदोलन का नेतृत्व किया?
उत्तर किशोरी देवी
प्रश्न मेवाड़ में प्रजामंडल आंदोलन का संस्थापक कौन था?
उत्तर माणिक्य लाल वर्मा
प्रश्न राजस्थान के किस आंदोलन में सेवा संघ के साथ हुए समझौते को सरकार ने बॉल वैश्विक फैसले की संज्ञा दी?
उत्तर बेंगू किसान आंदोलन
प्रश्न किस राजपूत राज्य के प्रजामंडल की स्थापना कोलकाता में की गई थी?
उत्तर बीकानेर प्रजामंडल
प्रश्न राजस्थान का जलियावालाबाग के नाम से प्रसिद्ध स्थान मानगढ़ धाम किस जिले में स्थित है?
उत्तर बांसवाड़ा
प्रश्न टच कमीशन संबंधित है?
उत्तर बेगू किसान आंदोलन
प्रश्न राजस्थान के किस क्रांतिकारी की बरेली की जेल में अपना के कारण व्यक्ति हुए?
उत्तर प्रताप सिंह बाहरहट
प्रजामण्डल आंदोलन से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न -
डूँगरपुर प्रजामण्डल की स्थापना किसके द्वारा की गयी ?
- भोगीलाल पंड्या द्वारा (1944)
भारत छोड़ो आंदोलन के संचालन हेतु ' आज़ाद मोर्चा ' का गठन कहाँ हुआ था ?
- जयपुर
चुन्नी लाल व अमृतलाल पायक का सम्बन्ध किस प्रजामंडल आंदोलन से जुड़ा रहा ?
- प्रतापगढ़ प्रजामंडल
' जैसलमेर में गुंडा राज ' नामक पुस्तक किसके द्वारा लिखी गयी ?
- सागरमल गोपा
किस राजपूत राज्य के प्रजामंडल की स्थापना कलकत्ता में की गयी ?
- बीकानेर प्रजामंडल
" काँगड़ कांड " किस प्रजामण्डल आंदोलन के दौरान घटित हुआ ?
- बीकानेर प्रजामंडल
1938 ई. में स्थापित मेवाड़ प्रजामण्डल का प्रथम अध्यक्ष कौन था ?
- बलवंत सिंह मेहता
करौली प्रजामण्डल की स्थापना 1938 में किसके द्वारा की गयी ?
- त्रिलोकचंद माथुर
31 दिसम्बर, 1945 से 1 जनवरी, 1946 तक उदयपुर में ऑल इंडिया स्टेट्स पीपल्स कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता किसने की ?
- पंडित जवाहर लाल नेहरू
कृष्ण दिवस किस कहाँ मनाया गया ?
- मारवाड़
हाड़ौती सेवा संघ का संस्थापक कौन था ?
- नयनू राम शर्मा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने किस अधिवेशन में देशी रियासतों के स्वतंत्रता आंदोलन को अपने अंग के रूप में अपनाया ?
- हरिपुरा अधिवेशन
सिरोही राज्य प्रजामंडल का संस्थापक कौन था ?
- गोकुल भाई भट्ट
बीकानेर प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष कौन थे ?
- मघाराम वैद्य
जेंटिलमेन्स एग्रीमेंट किस किस के बीच हुआ ?
- मिर्जा स्माइल व हीरालाल शास्त्री के मध्य (1942)
मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना किसके द्वारा की गयी ?
- माणिक्य लाल वर्मा
बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना किस वर्ष हुई ?
- 1936
मीठा लाल व्यास का सम्बन्ध किस प्रजामंडल से है ?
- जैसलमेर राज्य प्रजामण्डल
बीरबल दिवस किस प्रजामण्डल में मनाया गया ?
- बीकानेर प्रजामण्डल में
जयपुर हितकारिणी सभा को स्थापना किसने की ?
- पण्डित हीरालाल शास्त्री
' मेवाड़ राज्य का शासन ' किताब किसके द्वारा लिखी गयी ?
- माणिक्य लाल वर्मा
बांसवाड़ा प्रजामण्डल की स्थापना किसने की थी ?
- भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी (1945)
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