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Thursday, November 19, 2020

भारतीय दण्ड संहिता में धारा 114 क्या है

 


हेल्लो दोस्तों आपका स्वागत है आपकी अपनी वेबसाइट ज्ञान की लाइफ में, में दौलत शर्मा आज आपको इस पोस्ट में भारतीय दण्ड संहिता में धारा 376 क्या है के बारे मैं बतााऊं तो आप पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ना 


IPC क्या है/भारतीय दण्ड संहिता  क्या है?

भारतीय दंड संहिता को Indian Penal Code, भारतीय दंड विधान और उर्दू में ताज इरात-ए-हिन्द भी कहते हैं जो कि 1860 में बना था. आपने फिल्मों में देखा होगा कि कोर्ट में जज जब सजा सुनाते हैं तो कहते हैं कि ताज इरात-ए-हिन्द दफा 302 के तहत मौत की सजा दी जाती है. ये और कुछ नहीं बल्कि भारतीय दंड संहिता ही होती है और दफा का मतलब धारा या Section से होता है.

भारतीय दण्ड संहिता की महत्पूर्ण धारा

क्या है धारा-144 और कब लगाई जाती है?
सीआरपीसी की धारा 144 शांति कायम करने या किसी आपात स्थिति से बचने के लिए लगाई जाती है। किसी तरह के सुरक्षा, स्वास्थ्य संबंधित खतरे या दंगे की आशंका हो। धारा-144 जहां लगती है, उस इलाके में पांच या उससे ज्यादा आदमी एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं। धारा लागू करने के लिए इलाके के जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। धारा 144 लागू होने के बाद इंटरनेट सेवाओं को भी आम पहुंच से ठप किया जा सकता है। यह धारा लागू होने के बाद उस इलाके में हथियारों के ले जाने पर भी पाबंदी होती है।

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कब तक लग सकती है धारा-144?
धारा-144 को 2 महीने से ज्यादा समय तक नहीं लगाया जा सकता है। अगर राज्य सरकार को लगता है कि इंसानी जीवन को खतरा टालने या फिर किसी दंगे को टालने के लिए इसकी जरूरत है तो इसकी अवधि को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इस स्थिति में भी धारा-144 लगने की शुरुआती तारीख से छह महीने से ज्यादा समय तक इसे नहीं लगाया जा सकता है।

भारतीय दण्ड संहिता में धारा 376 क्या है

सजा का प्रावधान
गैर कानूनी तरीके से जमा होने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ दंगे में शामिल होने के लिए मामला दर्ज किया जा सकता है। इसके लिए अधिकतम तीन साल कैद की सजा हो सकती है।


धारा-144 और कर्फ्यू के बीच फर्क
ध्यान रहे कि सेक्शन 144 और कर्फ्यू एक चीज नहीं है। कर्फ्यू बहुत ही खराब हालत में लगाया जाता है। उस स्थिति में लोगों को एक खास समय या अवधि तक अपने घरों के अंदर रहने का निर्देश दिया जाता है। मार्केट, स्कूल, कॉलेज आधि को बंद करने का आदेश दिया जाता है। सिर्फ आवश्यक सेवाओं को ही चालू रखने की अनुमति दी जाती है। इस दौरान ट्रैफिक पर भी पूरी तरह से पाबंदी रहती है।

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