अमेज़न का जंगल इस समय चर्चा में है. इसके पीछे कारण है, वहां पिछले दो हफ्ते से भीषण आग लगी है. स्पेस रिसर्च सेंटर नासा ने इसकी जो तस्वीर भेजी है वह डराने वाली है. वैसे इस तस्वीर से पहले साओ पाउलो शहर के लोगों ने इसकी विभिषिका देख ली है, जब सोमवार की दोपहर पूरे शहर में अंधेरा छा गया था और चारों तरफ धुएं की महक थी.
अमेजन का जंगल दुनिया का सबसे बड़ा रेन फॉरेस्ट (वर्षावन) है. दुनिया का 20% ऑक्सीजन यहीं से आता है, इसलिए इसे 'पृथ्वी का फेफड़ा' भी कहते हैं. यह जंगल 2.1 मिलियन वर्गमील में फैला हुआ है. दक्षिणी अमेरिका से ब्राजील तक फैले इस जंगल के बारे में कहा जाता है कि अगर ये कोई देश होता, तो दुनिया का 9वां सबसे बड़ा देश होता.
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अमेज़न जंगल की जानकारी | Amazon ka Jungle Details in Hindi
अमेज़न के जंगल को एक तरफ दुनिया का सबसे खतरनाक जंगल भी कहा जाता है तो दूसरी तरफ सबसे सुंदर. एक तरफ इसे खतरनाक जानवरों के लिए जाना जाता है तो दूसरी तरफ इससे मिलने वाली साफ पानी के लिए. माना जाता है कि यहां जैव-विविधताएं (बायोडायवर्सिटी) का भंडार है.

लीड्स यूनिवर्सिटी ने साल 2017 में एक रिसर्च की थी. इसमें ये पाया गया कि अमेज़न बेसिन जितना कार्बन ग्रहण करता है, वो में कई देशों द्वारा हुए उत्सर्जन से मैच करता है. मतलब देश जितना कार्बन बेसिन में उत्सर्जित करता है, उतना ही अमेजन बेसिन से लेता है. हालांकि जगंलों के जलने से कार्बन का उत्सर्जन बढ़ जाता है और इन दिनों तो ये सबसे ख़राब स्थिति में है.
वैज्ञानिक कार्लोस नोबर और थॉमस ई लोवेजाय अपने रिसर्च में कहते हैं कि जिस तरीके से अमेज़न के जंगलों को काटा जा रहा है, वह दुनिया के सबसे बड़े जंगल से सबसे बड़े सावन क्षेत्र में बदल सकता है. बता दें कि सावन क्षेत्र में छोटे-छोटे पौधों के साथ घास का जंगल होता है. इससे क्षेत्र की इकोलॉजी भी बदल सकती है.

नेशनल जियोग्राफ़िक की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेज़न रेनफॉरेस्ट का असर सिर्फ क्षेत्रीय वॉटर साइकल पर नहीं होता, बल्कि इसका असर ग्लोबल स्केल पर होता है. अमेज़न के जंगलों से जिस तरह बारिश होती है, वह क्षेत्रों से होते हुए पहाड़ों के कोने तक पहुंचती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेज़न रेनफॉरेस्ट के पास वहक्षमता है कि वह जितना बारिश पाता है, उसका आधा प्रोड्यूस कर देता है. यह चक्र एक नाजुक संतुलन है, जिसके टूटने पर गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
अमेजन जंगल कहां है | Amazon Jungle Kahan Hai
अमेज़न के जंगल 9 देशों से होकर गुज़रते हैं. इन जंगलों का करीब 60 फ़ीसदी ब्राज़ील, 13 फ़ीसदी पेरू, 10 फ़ीसदी कोलंबिया और बाकी का हिस्सा इक्वाडॉर , गुयाना, वेनेज़ुएला, बोलिविया, सूरीनाम और फ्रेंच गुयान से होकर गुज़रता है.
बता दें कि प्रृथ्वी पर जितने जीव हैं, उसके एक तिहाई को एक साथ आप अमेज़न के जंगलों में ही देख सकते हैं. यहां 390 अरब पेड़ हैं, जिसमें 16 हज़ार से ज़्यादा उनकी प्रजातियां हैं. इतना ही नहीं, यहां 400 से ज्यादा आदिम जनजातियां भी रहती हैं. इन जनजातियों का बाहरी दुनिया से किसी तरह का संबंध नहीं है.
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अमेज़न के जंगलों के कीड़ों की काफ़ी चर्चा होती है. माना जाता है कि यहां इतने हज़ार तरह के कीड़े और जंतु मिलते हैं कि उनमें से कुछ ही फ़ीसदी के बारे में अबतक वैज्ञानिकों को पता चला है. यहां की बुलेट चींटिया भी काफ़ी ख़तरनाक होती हैं. देखने में छोटी वाली इन चिटियों के डंक को ज़हर की तरह खतरनाक माना जाता है. कहा जाता है कि इनके काटने पर गोली लगने जितना दर्द होता है.
चिटियों के बाद यहां की मकड़ियों की चर्चा होती है. यहां 3 हज़ार से ज़्यादा इनकी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें ज़्यादातर ज़हरीली होती हैं. टारान्टुला मकड़ी को सबसे ख़तरनाक माना जाता है. इसके बाल भी इतने ख़तरनाक होते हैं कि आपकी आंखों में पड़ गए, तो शीशे की तरह उसे फोड़ देंगे.

आग की क्या स्थिति है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो साल में अमेज़न के जंगल में आग लगने की घटनाओं में 83 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. इसके कारणों में कुछ लोग इसे जंगलों की अंधाधुंध कटाई बता रहे हैं, तो कुछ षडयंत्र तो कुछ सरकार की लापरवाही. नासा के मुताबिक, सिर्फ़ इस साल आग लगने के 72843 मामले सामने आए हैं. इसमें अमेजन बेसिन में ही आग लगने की 9507 घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
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नई दिल्ली : अमेजन फॉरेस्ट में जंगल अरबों एकड़ में फैला है। जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा। रहस्यों से भरे इस जंगल की विशालता इस बात से ही लग सकती है कि ये नौ देशों के बॉर्डर से लगता है। अमेजन वैसे भी रहस्यों से भरा जंगल है। एक ऐसा जंगल, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा जंगल कहा जाता है, क्योंकि यह अरबों एकड़ में फैला हुआ है। यह जंगल इतना विशाल है कि यह अकेले ही नौ देशों की सीमाओं को छूता है। कहते हैं कि इस जंगल में ऐसे जीव-जंतु या अन्य चीजें मौजूद हैं, जिनके बारे में इंसान जानता तक नहीं। यही वजह है कि इस जंगल में ज्यादा अंदर तक जाने के बारे में इंसान सोचता तक नहीं। इसी जंगल में मौजूद है एक ऐसी नदी, जिसका पानी हमेशा उबलता रहता है। कहते हैं कि अगर इसके पानी में गलती से भी कोई गिर जाए तो उसकी मौत लगभग तय है।
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आंद्रे रूजो जिज्ञासा
पेरू में मौजूद इस रहस्यमय नदी की खोज भूवैज्ञानिक आंद्रे रूजो ने साल 2011 में की थी। मयानतुयाकू नामक (बॉइलिंग रिवर )इस नदी की खोज की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है, जिसके बारे में आंद्रे रूजो ने बताया है। दरअसल, बचपन से ही रूजो ने ऐसी काल्पनिक नदियों की कहानियां सुन रखी थी, जो उन्हें आश्चर्य से भर देती थीं, लेकिन तब उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अहसास नहीं था कि ऐसी नदी सच में होती है।
उबलने के पीछे क्या वजह
यहां पर पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियां हैं, जिनके बारे में हमें कोई अंदाजा ही नहीं। इसी अमेजन फॉरेस्ट के एक हिस्से में जो पेरू से लगा हुआ है, एक नदी है जो लगातार उबलती रहती है। वैज्ञानिक इसे दुनिया का सबसे बड़ा थर्मल रिवर मान रहे हैं और ये समझने की कोशिश में हैं कि आखिर नदी के उबलने के पीछे क्या वजह है। पेरू से जुड़े हुए अमेजन फॉरेस्ट में आंद्रे को उबलती हुई नदी मिली। लगभग चार मील तक फैली इस नदी के आसपास पेरू की जनजाति की बसाहट है, जो इस नदी को पवित्र नदी मानते हैं और इसे स्थानीय भाषा में मयानतुयाकू कहते हैं।
‘द बॉयलिंग रिवर: एडवेंचर एंड डिस्कवरी इन द अमेजन’
एक रिपोर्ट के अनुसार आंद्रे ने बाद में टेक टॉक में बताया कि नदी का पानी खासा गर्म है। अगर उसमें अंगुली डाली जाए तो एक सेकंड के भीतर थर्ड डिग्री बर्न हो सकता है। यह नदी करीब मील लंबी है। रूजो के मुताबिक, इसका पानी इतना गर्म है कि उससे आप चाय भी बना सकते हैं। आंद्रे ने अपने सामने ही कई जानवरों को नदी में गिरते और उबलते हुए देखा. उन्होंने इस नदी के बारे में ‘द बॉयलिंग रिवर: एडवेंचर एंड डिस्कवरी इन द अमेजन’ नाम की एक किताब भी लिखी है जो ज्वालामुखी इस नदी से सबसे करीब है, वो भी लगभग 700 किलोमीटर दूर है। ऐसे में ज्वालामुखी के कारण नदी का पानी नहीं उबल रहा।

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वैज्ञानिक शोध जारी
इस नदी के बारे में हमारे पूर्वज जानते रहे होंगे। आंद्रे के अनुसार तब इस नदी का नाम था, जिसका मतलब है सूरज की गर्मी से उबला हुआ पानी। फिलहाल इस नदी को समझने के लिए एक प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है, जिससे पास रहने वाले जनजाति समुदाय को भी जोड़ा गया है। इसके तहत पर्यटन करने वाले सैलानियों को बताया जाता है कि वे किसी भी हाल में नदी में कुछ फेंके नहीं और न कोई नुकसान पहुंचाए। न ही तैरने की सोचें क्योंकि करीब 80 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तापमान वाला पानी सेकंड्स में बुरी तरह से जला सकता है।रूजो ने इस नदी के बारे में ‘द बॉयलिंग रिवर: एडवेंचर एंड डिस्कवरी इन द अमेजन’ नाम की एक किताब भी लिखी है, जिसमें उन्होंने इसके रहस्यों के बारे में बताया है। उनके मुताबिक, यह नदी प्रकृति का आश्चर्य है, जिसका पानी रहस्यमय तरीके से उबल रहा है। इस बारे में वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं, लेकिन अब तक यह पता नहीं चल सका है कि इसका पानी क्यों इतना गर्म है।
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