गंगा नदी के बारे मैं
सम्पूर्ण जानकारी
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तो आज का हमारा टॉपिक रहेगा गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
तो आइए दोस्तों जानते हैं गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी~
आज हम आपको भारत की पवित्र और सबसे लंबी नदी गंगा के बारे में बताने जा रहे है। गंगा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी मानी जाती हैं। यह नदी भारत, नेपाल, बांग्लादेश में बहती है। इसकी नदी की लम्बाई 2525 किलोमीटर है
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी~
गंगा नदी की कहानी~
हम अक्सर अपने पूर्वजो से कई किस्से कहानिया सुनते है और ऐसी बहुत सी कथाये भी है जिनके बारे में केवल हमारे बुजुर्ग ही हमे बता पाते है ! वैसे आज कल के समय में कथाये बुजुर्गो से कम और गूगल से ज्यादा सुनने को मिलती है ! ये तो थी एक समझदारी भरी सोच की राय , पर आज हम भी आपको ऐसी ही एक कथा के बारे में बताने जा रहे है जिसे पढ़ने के बाद आप हमेशा भारत के इतिहास को जानने के लिए उत्सुक रहेगे ! जी हा हमारे देश की सबसे पवित्र और पुरानी नदी के बारे में तो सब जानते ही होंगे ! वो है गंगा नदी की कहानी जो आज भी पवित्र और शुद्ध है !
आज भी बहुत से ऐसे लोग जो अपने पाप धोने गंगा नदी में जाते है और इतना ही नहीं गंगा नदी (Ganga Nadi) का जल इतना पवित्र है कि लोग इसे अपने घरो में संभल कर रखते है ! वैसे इसका प्रयोग घर को शुद्ध रखने में भी किया जाता है ! गंगा को स्वर्ग की नदी के समान समझ जाता है ! शायद इसलिए इसे गंगा माता भी कह कर पुकारा जाता है ! ये अकेली ऐसी नदी है जिसे भगवान् की तरह पूजा जाता है ! पर क्या आप जानते है कि ये नदी जितनी गहरी है इसके पैदा होने का रहस्य भी उतना ही गहरा है ! अर्थात गंगा नदी (Ganga Nadi) उत्पन्न कैसे हुई और इसका प्राचीन इतिहास क्या है इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे ! तो चलिए हम आपको बताते है इस प्राचीन नदी का अनोखा इतिहास !
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
गंगा की उत्पत्ति की कहानी
गंगा नदी
गंगा की उत्पत्ति का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. हिन्दू धर्म में गंगा की उत्पत्ति की कहानी दो कथाओं में बताई गयी है. आइये जानते है ये कथाएं- कहते है बलि नाम का एक राजा था जो बहुत बहादुर था ! अपनी बहादुरी के चलते उन्होंने स्वर्ग के राजा इंद्र को युद्ध के लिए ललकारा ! पर उसकी बहादुरी देख कर भगवान् इंद्र को लगा कि यदि यह जीत गया तो स्वर्ग का सारा राज्य हथिया कर ले जायेगा !
गौरतलब है कि राजा बलि बहुत बड़े विष्णु भक्त थे ! अब दुविधा देखिये कि इंद्र देव सहायता के लिए भगवान् विष्णु के पास ही गए और तब विष्णु जी ने इंद्र देव जी की सहायता की ! विष्णु जी उस समय अपने असली रूप में नहीं बल्कि वामन ब्राह्मण का अवतार लेकर राजा बलि के राज्य में गए ! पर तब राजा बलि अपने राज्य की समृद्धि के लिए एक यज्ञ कर रहे थे ! फिर भी विष्णु जी उसी अवतार में राजा बलि के पास गए और उनसे दान मांग लिया !
विष्णु जी ने बहुत ही चालाकी से राजा बलि से तीन कदम ज़मीन मांग ली ! पर आश्चर्य की बात ये है कि राजा बलि जानते थे कि वो भगवान् विष्णु है जो ब्राह्मण अवतार में आये है ! फिर भी उन्होंने सोचा कि वो किसी ब्राह्मण को अपने द्वार से खाली हाथ नहीं जाने दे सकते ! इसलिए उन्होंने तीन कदम ज़मीन देने के लिए हाँ कर दी ! पर जैसे ही विष्णु जी ने पहला कदम रखा तो उनका पैर इतना बड़ा हो गया कि सारी ज़मीन एक ही बार में नाप ली ! फिर उन्होंने दूसरा कदम आकाश की तरफ रखा तो सारा आसमान नाप लिया ! पर जब तीसरे कदम की बारी आयी तो विष्णु जी ने राजा बलि से पूछा कि ये तीसरा कदम कहाँ रखू तो राजा बलि ने बड़ी उदारता से कहा प्रभु मेरे सर पर रख लीजिये ! जैसे ही विष्णु जी ने उसके सर पर कदम रखा तो वो सीधा पाताल लोक में ज़मीन के नीचे समा गया जहाँ केवल असुरो का शासन था !
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
गंगा नदी
इस कथा में ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान् विष्णु ने आकाश की तरफ अपना कदम रखा था तब खुद ब्रह्मा जी ने उनके पाँव धुलाये थे और उसका सारा जल एक कमंडल में इकट्ठा कर लिया ! इसी जल को गंगा का नाम भी दिया गया और यही वजह है कि गंगा को ब्रह्मा की पुत्री भी कहा जाता है ! वो कुमंडल इतना बड़ा था कि उसमे इकठ्ठा किया हुआ जल एक नदी जितना विशाल था ! इस तरह गंगा नदी का जन्म हुआ !
गंगा नदी का जन्म
गंगा नदी का धरती पर प्रवेश | गंगा नदी का इतिहास
गंगा नदी का इतिहास काफी ज्यादा गौरवशाली रहा है. इस कथा को पढ़ने के बाद ये तो पता चल गया कि गंगा नदी हमेशा से पृथ्वी पर नहीं थी बल्कि उन्हें पृथ्वी पर लाया गया था क्योंकि उनका जन्म तो स्वर्गलोक में हुआ था ! तो सवाल ये उठता है कि वो इस धरतीलोक में आयी कैसे ? इसका जवाब भी हमारे पास मौजूद है ! दरअसल उस युग में बहुत प्रतापी राजा हुआ करते थे और राजा बलि के बाद राजा सागर भी उन्ही में से एक थे ! उस युग में राजा अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए एक यज्ञ किया करते थे जिसे अश्वमेघ यज्ञ भी कहा जाता था ! इसमें ऐसा होता था कि एक घोडा राज्य में छोड़ दिया जाता था और वो घोडा जिस भी राज्य से गुजरता था वो राज्य यज्ञ करने वाले राजा का हो जाता था ! पर इसी बीच अगर किसी राजा ने वो घोडा पकड़ लिया तो उस राजा को यज्ञ करने वाले राजा के साथ युद्ध करना पड़ता था !
एक बार राजा सागर ने भी ऐसा ही अश्वमेघ यज्ञ किया था और घोडा छोड़ दिया ! पर उस समय भी इंद्र देव को ये भय था कि कही अगर घोडा स्वर्ग से गुजरा तो स्वर्ग का सारा राज्य राजा सागर के पास चला जायेगा और यदि कही घोडा पकड़ लिया तो राजा सागर से युद्ध जीतने की भी कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी ! ऐसी स्थिति में इंद्र देव ने बहुत ही चालाकी से सोच समझ कर निर्णय लिया और भेष बदल कर घोडा पकड़ा और उसे कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया !
राजा सागर को इस बात का पता चला कि उनका घोडा किसी ने पकड़ लिया तो उन्होंने गुस्से में अपने साठ हज़ार पुत्रो को युद्ध के लिए भेजा ! कपिल मुनि अपने आश्रम में ध्यान लगा कर बैठे थे ! राजा सागर के पुत्र भी घोड़े की तलाश कर रहे थे और जब उन्होंने घोडा आश्रम में देखा तो आश्रम में हुई चहल पहल से मुनि जी का ध्यान हट गया ! जब राजा के पुत्रो ने मुनि जी पर घोडा पकड़ने का झूठ इलज़ाम लगाया तब मुनि जी ने गुस्से में आकर राजा के सारे पुत्रो को भस्म कर दिया ! इसके बाद राजा के पुत्रो की आत्मा को शांति नहीं मिल रही थी ! यही राजा सागर की कहानी का अंत हो गया !
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
गंगा नदी का जन्म
कई पीढियो के बाद उस कुल में राजा भागीरथ का जन्म हुआ ! उन्होंने ये निश्चय कर लिया कि वे अपने पूर्वजो की आत्मा को जरूर शांति दिलवाएंगे ! इसलिए उन्होंने भगवान् की कठोर तपस्या की और उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान् विष्णु ने राजा भागीरथ को अपने दर्शन दिए !
भागीरथ ने गंगा नदी को धरती पर लाने की प्रार्थना की ! दरअसल राजा भागीरथ के पूर्वजो की आत्मा को शांति तभी मिल सकती थी जब उनकी अस्थियां गंगा नदी में बहाई जाये ! इसलिए राजा भागीरथ ने भगवान् विष्णु से ये वरदान माँगा था ! पर भगवान् विष्णु ने कहा कि गंगा बहुत ही क्रूर स्वाभाव की है पर फिर भी वो बहुत मुश्किल से धरती पर आने के राज़ी हो गयी ! पर मुश्किल ये थी कि गंगा नदी का प्रवाह इतना ज्यादा था कि यदि वो धरती पर आती तो सारी धरती तूफान में बह जाती और नष्ट हो जाती ! ऐसे में भगवान् विष्णु ने शिव जी से प्रार्थना की कि वो गंगा (Ganga Nadi) को अपनी जटाओं में बांध कर काबू करे ताकि धरती को कोई नुकसान न हो !
जब गंगा बहुत तीर्व गति से धरती पर उतरी तब चारो तरफ धरती पर तूफान सा छा गया ! ऐसे में भगवान् शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समा कर एक पतली धार के समान धरती पर उतारा ! इस तरह गंगा का धरती पर प्रवेश हुआ ! अगर देखा जाये तो राजा भगीरथ के कारण गंगा नदी धरती पर आयी इसलिए उसे भागीरथी भी कहा जाता है !
गंगा नदी (Ganga Nadi)की स्वर्ग से धरती तक की इस यात्रा कथा को पढ़ कर आपको पता चल ही गया होगा कि गंगा का हमारे जीवन में क्या महत्व है ! इसकी पवित्रता आत्मा को भी शुद्ध कर देती है ! इसलिए गंगा नदी को हमेशा पवित्र रहने दे तभी वो धरती पर आकर समृद्ध रह पायेगी !
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी~ दोस्तों आपको में गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के साथ साथ गंगा नदी के बारे में रोचक जानकारी भी बताउगा
तो आइए जानते हैं गंगा नदी के बारे में रोचक जानकारी~
गंगा नदी के बारे में रोचक तथ्य :-
यह भारत कि राष्ट्रीय नदी है . 4 नवंबर 2008 को राष्ट्रीय नदी बनाया गया .
यह भारत कि तीसरी सबसे बड़ी नदी है . 1st -सिंधु नदी
गंगा नदी का जिक्र हिन्दुओ के सबसे पुराने वेद ऋग्वेद में भी मिलता है / जिसने गंगा को जाह्नवी कहा गया /
वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं।
गंगा घाटी में ही रामायण और महाभारत क़ालीन युद का उद्भव हुआ /.
विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा सुंदरवन बहुत-सी प्रसिद्ध वनस्पतियों और प्रसिद्ध बंगाल टाइगर का निवास स्थान है। यह गंगा और उसकी सहायक नदियों द्वारा बनता है
नोट-इन वनों में बहुत बड़ी तादाद में सुंदरी के पेड़ मिलते है
जिसके कारण इस वन का नाम सुन्दर वन पड़ा है
डॉलफिन की दो प्रजातियाँ सिर्फ गंगा में पायी जाती हैं। जिन्हें गंगा डॉलफिन और इरावदी डॉलफिन के नाम से जाना जाता है।
इसके अलावा गंगा में पायी जाने वाले शार्क की वजह से भी गंगा की प्रसिद्धि है, जिसमें बहते हुए पानी में पायी जानेवाली शार्क के कारण विश्व के वैज्ञानिकों की काफी रुचि है।
इतिहास के सबसे पुराने शहरो में से एक वाराणसी इसी नदी के तट पर स्थित है .
हिन्दू परम्पराओं में गंगा जल का प्रयोग जन्म से मित्यु तक सभी अनुष्ठानो में होता है /
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार वाराणसी धरती पर सबसे पवित्र भूमि है और गंगा सबसे पवित्र नदी / इन दोनों के मिलन स्थल पर लोग मरने की इच्छा ले कर आते है .
गंगा नदी गंगात्री ग्लेशियर से हिमालय की दक्षिणी ढलानों पर निकलती है, जो समुद्री स्तर से 14,000 फीट ऊपर है।
1896 में, एक ब्रिटिश बैक्टीरियोलॉजिस्ट अर्नेस्ट हनबरी हैंकिन ने बैब्रोनियम विब्रियो कोलेरा का परीक्षण किया जो घातक बीमारी कोलेरा का कारण बनता है, और पाया कि यह बैक्टीरिया गंगा के पानी में तीन घंटे के भीतर मर गया।
नई दिल्ली में मलेरिया रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह देखा गया था कि गंगा की ऊपरी महत्वाकांक्षाओं से पानी मच्छर प्रजनन की मेजबानी नहीं करता था, और अन्य जल स्रोतों में जोड़े जाने पर मच्छर प्रजनन को भी रोका था ।
गंगा की आत्म शुद्धिकरण गुणवत्ता दुनिया की किसी अन्य नदी की तुलना में ऑक्सीजन के स्तर 25 गुना अधिक होती है।
गंगा 140 विभिन्न प्रजातियों की मछली और 90 विभिन्न उभयचर प्रजातियों के लिए घर है, जिनमें से कई आज विलुप्त होने के करीब हैं।
नदी गंगा कई पक्षी प्रजातियों का समर्थन करती है जो भारत में विशिष्ट रूप से पाए जाते हैं। वे दुनिया में कहीं और नहीं रहते हैं।
जब जैविक अपशिष्ट को कम करने के कारण ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है तो पानी खराब गंध उत्पन्न करता है / इंग्लैंड की वापसी यात्रा के दौरान एक ब्रिटिश चिकित्सक सीई नेल्सन ने गंगा के सबसे गंदे मुंहों में से एक हुगली नदी से कुछ पानी लिया और देखा कि यह यात्रा के दौरान ताजा बना हुआ है।
गंगा का पानी बोतल में बंद कर के रख देने पर भी कई महीनों तक ख़राब नहीं होता है /
क्या आपने कभी 'सबमरीन फैन' शब्द सुना है? खैर, ये वास्तव में भूगर्भीय संरचनाएं पानी में डूबे हुए हैं और नदी तलछट द्वारा बनाई गई हैं। गंगा में भी एक सबमरीन फैन है और यह पूरी दुनिया में सबसे बड़ा सबमरीन फैन है, जो 3000 किमी की लंबाई और 1000 किमी की चौड़ाई तक फैला हुआ है। गंगा के सबमरीन फैन की अधिकतम मोटाई 16.5 किमी है।
गंगा का सबसे रहस्यमय घटना नदी से निकलने वाली अजीब और अतुलनीय आवाज़ें हैं।
उपजाऊ मैदानों के बारे में बताते हुए, गंगा के मैदान 400 मिलियन से अधिक लोगों की आजीविका का समर्थन करते हुए बेहद उपजाऊ हैं। एक और 1.2 अरब भारतीय इस नदी के चारों ओर 1557 मील की दूरी पर रहते हैं।
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी~
गंगा नदी के बारे में रोचक तथ्य~
पवित्र नदी
आपको बता दें कि यह नदी हिमालय से निकलती है और अंत में ग्वालन्दों के निकट ब्रह्मपुत्र के साथ मिलकर बंगाल की खाडी में विसर्जित हो जाती है। यह नदी निरंतर प्रवाहमयी नदी है। बहुत से लोग इस नदी में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाते हैं, इसीलिए इस नदी को भारतीय धर्मग्रंथों में पवित्र नदी के रूप में माना गया है, और लोगों दुवारा इसको माता का दर्जा भी दिया गया है। गंगा केवल नदी ही नहीं, बलकि एक संस्कृति भी है। गंगा नदी के तट पर अनेक पवित्र तीर्थों का भी निवास है।
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गंगा जल का उपयोग
गंगा नदी की चौड़ाई काफी ज्यादा है और इस नदी में पानी की मात्रा काफी ज्यादा होने के साथ रफ़्तार भी तेज़ होती है। ये नदी हिमालय में स्थित गंगोत्री नामक स्थान से निकलती है। हिमालय की बर्फ पिघलकर इसमें आती रहती है। गंगा जल करोड़ों लोगों की प्यास बुझाता है। करोड़ों पशु-पक्षी इस नदी के जल पर ही निर्भर रहते हैं। लाखों एकड़ जमीन इसके जल से ही सिंचित होती है।
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इसीलिए कहते हैं गंगा नदी को भागीरथी
आपको बता दें कि गंगा का भागीरथी नाम राजा भगीरथ के नाम से पड़ा था। राजा भगीरथ के साठ हज़ार पुत्र थे, और शापवश उनके सभी पुत्र भस्म हो गए थे। तब राजा ने कठोर तपस्या की और गंगा शिवजी की जटा से निकलकर देवभूमि भारत पर अवतरित हुई।
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इसके बाद ही भगीरथ के साठ हज़ार पुत्रों का उद्धार हुआ था। तब से लेकर गंगा अब तक न जाने कितने पापियों का उद्धार कर चुकी है। इसमें मृतकों के शव बहाए जाते हैं। इसके तट पर शवदाह के कार्यक्रम होते हैं। गंगा तट पर पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन आदि के कार्यक्रम चलते ही रहते हैं।
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दूषित हो चुकी है पवित्र गंगा
अब गंगा नदी के पानी में सिर्फ 25 प्रतिशत ही ऑक्सीजन है और पूरा पानी काफी दूषित हो चूका है। वह दुनिया की पांचवी सबसे दूषित नदी बन चुकी है।
गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी~
गंगा नदी के बारे में रोचक तथ्य यह भी जाने~
1. गंगा, भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। भारत देश में गंगा नदी को पवित्र और आस्था के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।
2. गंगा नदी का उद्गम स्थल हिमालय के दक्षिण ढलान पर गंगोत्री हिमनाद में है।
3. गंगा नदी लगभग 2510 किलोमीटर लंबी है।
4. माना जाता है कि गंगा का जन्म सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के चरणों से हुआ था।
5. कहा जाता है कि पृथ्वी पर गंगा का अवतरण राजा भागीरथ के कठिन तप से हुआ था। राजा भागीरथ के 5500 सालों तक की घोर तपस्या से खुश होकर देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं
Good
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