भीलवाड़ा जिला दर्शन
भीलवाड़ा जिले के उपनाम/प्राचीन नाम -
- राजस्थान का मैनचेस्टर
- वस्त्र निर्यातक शहर
- वस्त्र नगरी
- टेक्सटाइल सिटी
- अभ्रक नगरी
- ज़ू ऑफ मिनरल
- टाउन लेंस
भीलवाड़ा का सामान्य परिचय -
- भीलवाड़ा का क्षेत्रफल 10455 वर्ग किलोमीटर।
- मांडलगढ़ भीलवाड़ा में मेवाड़ महाराणा सांगा का समाधि स्थल है।
- भीलवाड़ा में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र है।
- आसींद भीलवाड़ा में खारी नदी के तट पर लगभग 11 सौ वर्षों पुराना देवनारायण मंदिर (सवाई भोज मंदिर) स्थित है।
- भीलवाड़ा के शाहपुरा में रामानंदी संप्रदाय की शाखा रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ है।
- अक्षांशीय स्थिति : 25 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 27 डिग्री 50 मिनट उत्तरी अक्षांश तक।
- देशांतरीय विस्तार : 74 डिग्री 3 मिनट पूर्वी देशांतर से 75 डिग्री 25 मिनट पूर्वी देशांतर तक।
भीलवाड़ा जिले के विधानसभा क्षेत्र -
- आसींद
- जहाजपुर
- भीलवाड़ा
- मांडलगढ़
- शाहपुरा
- मांडल
- सहाड़ा
2011 की जनगणना के आंकड़े -
भीलवाड़ा जिले की जनसंख्या/घनत्व/लिंगानुपात/साक्षरता के आंकड़े निम्न प्रकार है -
- भीलवाड़ा की कुल जनसंख्या : 2408523
- भीलवाड़ा में जनसंख्या घनत्व : 230
- भीलवाड़ा का लिंगानुपात : 973
- भीलवाड़ा में पशु घनत्व : 234
- भीलवाड़ा की साक्षरता दर : 62.71%
- भीलवाड़ा की पुरुष साक्षरता दर :75.3%
- भीलवाड़ा की महिला साक्षरता दर : 47.2%
भीलवाड़ा जिले के प्रमुख मेले और त्यौहार -
- सवाई भोज का मेला - सवाई भोज, आसींद में भाद्रपद शुक्ल 6 को
- सौरत (त्रिवेणी) का मेला - त्रिवेणी संगम, सौरत, ( मेनाल, मांडलगढ़) में शिवरात्रि के पर्व पर
- धनोप माता का मेला - धनोप गांव (खारी व मानसी नदी के बीच स्थित ) में चैत्र शुक्ल 1 से 10
- फूलडोल का मेला ( रामस्नेही सम्प्रदाय) - रामनिवास धाम (रामद्वारा) में चैत्र कृष्णा प्रतिपदा से पंचमी तक।
- तिलस्वां महादेव मेला - तिलस्वां (मांडलगढ़) में शिवरात्रि के अवसर पर
भीलवाड़ा की नदियां -
- मानसी नदी - मानसी नदी मांडलगढ़ के निकट करणगढ़ नामक स्थान से निकलती है तथा यह अजमेर की सीमा पर फुलियां की ढाणी नामक स्थान पर खारी नदी में मिल जाती है।
- मेज नदी - इसका उद्गम स्थल मांडलगढ़ के बिजोलिया के निकट से होता है। यह नदी कोटा जिले के भैंसखाना गांव में चंबल नदी में मिल जाती है। मेज नदी की सहायक नदियां - कुराल, मांगली, बाजन आदि है।
- भीलवाड़ा की अन्य नदियां - मांगली नदी, घोड़ा पछाड़ नदी, मेनाल नदी, बेड़च नदी, खारी नदी, बनास नदी, कोठारी नदी आदि।
भीलवाड़ा के प्रमुख मंदिर -
- धनोप माता का मंदिर - राजा धुंध की कुलदेवी धनोप माता के इस मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र सुदी एकम से चैत्र सुदी दशमी तक एक विशाल मेला आयोजित होता है।
- सवाई भोज मंदिर - सवाई भोज मंदिर आसींद (भीलवाड़ा) में खारी नदी के तट पर स्थित है। यह लगभग ग्यारह सौ वर्ष पुराना मंदिर है। इसे देवनारायण जी का मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर 24 बगड़ावत भाइयों में से एक सवाई भोज को समर्पित है, इसलिए इसे सवाई भोज मंदिर कहते हैं। यहां पर भाद्रपद शुक्ला छठ को एक विशाल मेला भरता है। देवनारायण जी की फड़ राजस्थान में बहुत ही लोकप्रिय है। यह राजस्थान की सबसे लंबी, सबसे प्राचीन फड़ है।
- शाहपुरा का रामद्वारा - रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक श्री रामचरण जी महाराज ने रामस्नेही संप्रदाय की मुख्य गद्दी शाहपुरा में 1751 में स्थापित की थी | प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से पंचमी तक शाहपुरा में फूलडोल महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं।
- बाईसा महारानी का मंदिर - इस मंदिर का निर्माण ग्वालियर के महाराजा महादजी सिंधिया की पत्नी महारानी गंगाबाई की स्मृति में करवाया गया था। यहां पर उनकी छतरी बनी हुई है।
- हरणी महादेव का मंदिर - यहां पर प्रतिवर्ष शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला लगता है |
- तिलस्वा महादेव मंदिर - इस मंदिर में शिवरात्रि को एक मेला भरता है।
भीलवाड़ा के दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल -
- मेनाल - मेनाल चित्तौड़गढ़-बूंदी मार्ग पर मांडलगढ़ कस्बे के निकट स्थित है। यहां एक बारहमासी झरना भी बहता है। मेनाल से कुछ दूर बिगोद के निकट भीलवाड़ा में 3 नदियां-बनास, बेड़च व मेनाल का त्रिवेणी संगम स्थित है।
- मांडल - यहां पर कोठारी नदी पर मेजा बांध बना हुआ है। यहां पर जगन्नाथ कछुआ की 32 खंभों की छतरी पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही प्रसिद्ध है।
- चमना बावड़ी - यह बावड़ी तीन मंजिली है। इसका निर्माण 1800 में महाराजा उम्मेद सिंह प्रथम ने चमना नामक गणिका की इच्छा पर करवाया था।
- बागोर - बागोर अभ्रक बहुल क्षेत्र के मध्य स्थित है। यह कोठारी नदी के तट पर स्थित है। यहां के पूर्व में "महासतियों का टीला" नाम का स्थल पाषाणकालीन अवशेषों के कारण विश्व विख्यात है।
- शाहपुरा - शाहपुरा में रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ "रामद्वारा" स्थित है। केसरी सिंह बारहठ तथा प्रताप सिंह बारहठ की हवेली भी शाहपुरा में स्थित है | शाहपुरा कस्बा पड़ चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। होली के दूसरे दिन यहां पर फूलडोल मेला आयोजित होता है |
- बारहदेवरा, जहाजपुर - यहां पर 12 लघु देवालय बने हुए हैं।
भीलवाड़ा के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न:-
- मेजा बाँध:– कोठारी नदी पर स्थित है। मेजा बाँध की पाल पर मेजा पार्क बना है, जिसे ग्रीन माउण्ट कहा जाता है।
- प्रथम अहिंसात्मक असहयोग किसान आंदोलन 1897 से 1941 तक बिजोलिया (भीलवाड़ा) में चलाया गया था। इसे बिजोलिया किसान आंदोलन कहा जाता है।
- धनोप माता का मंदिर शाहपुरा, भीलवाड़ा में है।
- पूर्ण उत्तरदायी शासन स्थापित करने वाली पहली रियासत शाहपुरा थी, जिसने 14 अगस्त, 1947 को उत्तरदायी शासन की स्थापना की।
- खारी बांध, सरेरी बांध, उर्मिला सागर बांध, अडवान बांध, उम्मीद सागर बांध, रामसागर बांध आदि भीलवाड़ा में स्थित है।
- राजस्थान धरोहर संरक्षण की ओर से ‘टेम्पल विलेज’ के रूप में विकसित होने वाला गाँव-बघेरा गाँव भीलवाड़ा में है।
- ऊपरमाल—भैंसरोगढ़ (चित्तौडगढ़) से लेकर बिजौलिया (भीलवाड़ा) तक का पठारी भाग ऊपरमाल कहलाता है।
- नाहर नृत्य माण्डलगढ़ का प्रसिद्ध जबकि स्वांग शाहपुरा का प्रसिद्ध है।
- अभ्रक – छापरी, दांता, भूणास, बनेड़ी। राजस्थान का सर्वाधिक अभ्रक उत्पाेदक जिले भीलवाड़ा तथा उदयपुर है। भीलवाड़ा में अभ्रक की ईंटें भी बनाई जाती है।
- कंप्यूटर एडेड डिजाइन केंद्र – भीलवाड़ा में।
- ईंट उद्योग में भीलवाड़ा सर्वाधिक विकसित जिला है। यहाँ पर अभ्रक की ईंटें बनाई जाती है तथा राजस्थान में अभ्रक मण्डी भी यहीं है।
- ‘माच ख्याल’ के पितामह भीलवाड़ा निवासी बगसु लाल खमेसरा को कहा जाता है।
- बागोर के निकट ‘कोठारी नदी’ के तट पर बसे गांव पुरातत्व की दृष्टि से समृद्ध है।
- भीलवाड़ा क्षेत्र में स्थित ‘जहाजपुर’ को महाभारत काल में खेराड़-प्रदेश कहा जाता था।
- भाड़ेल (अभ्रक) की छपाई – भीलवाड़ा में होती है।
- वनस्पति घी (1974 में स्थापित) फैक्ट्री भीलवाड़ा में है।
- पहली महिला तकनीकी अधिकारी भीलवाड़ा की फ्लाइट लेफ्टीनेन्ट मोनिका बनी।
- नवीं और बारहवीं शताब्दीर के प्राचीन मंदिरों से भीलवाड़ा जिला परिपूर्ण है। बिजोलिया, तिरस्वां एवं माण्डलगढ़ मध्यचकालीन मन्दिर, कला एवं स्थापत्य के अनूठे नमूने हैं।
- सर्वाधिक तहसीलों ( 16) व सर्वाधिक उपखंडों(16) वाला जिला – भीलवाड़ा है।
- केंद्र सरकार ने 26 फरवरी, 2009 को “कपड़ा निर्यातक शहर” का दर्जा दिया गया है।
- राजस्थान स्पिनिंग एंड वीविंग मिल्स की स्थापना 1960 में भीलवाड़ा में की गयी।
- राजस्थान में वनस्पति घी की पहली मिल 1964 में भीलवाड़ा में स्थापित।
- मांडल (भीलवाड़ा) में होली के तेरह दिन पश्चात् रंग तेरस पर आयोजित नाहर नृत्य के सम्बंध में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत शाहजहाँ के शासनकाल में हुई।
- भीलवाड़ा फ्लोराइट/फ्लोरस्पार उत्पादक क्षेत्र – आसींद।
- सूलिया—12 दिसम्बर, 2006 को चाँवड़ा माता के मंदिर में दलितों ने सामाजिक कार्यकर्ता भोपे हजारी के नेतृत्व में प्रवेश किया। इसमें अरूणा राय (सूचना अधिकार दिलाने वाली) ने भी हिस्सा लिया।
- कृषि विज्ञान रेडियो स्टेशन – भीलवाड़ा में स्थित हैं।
- भीलवाड़ा में सीसा,जस्ता व चाँदी के उत्पादक क्षेत्र – रामपुरा, आगूंचा।
- केन्द्र सरकार ने 26 फरवरी, 2009 को कपड़ा निर्यातक शहर का दर्जा दिया।
- भीलवाड़ा जिले को टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस का दर्जा मिला है।
- मेजा बांध – यह बांध कोठारी नदी पर मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) में बना हुआ है। इस बांध पर मेजा पार्क बना हुआ है। जिसे “ग्रीन माउंट” में नाम से जाना जाता है।
- बांका—राजस्थान की प्रथम अलंकृत गुफा मिली।
- नांदणे (घाघरे की छपी फड़)-भीलवाड़ा।
- मेवाड़ टेक्सटाइल्स मिल्स की स्थापना 1938 ईस्वी में भीलवाड़ा में की गयी।
- ओझियाणा—ताम्रयुगीन अवशेष, भारत में पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य यहीं से प्राप्त हुए हैं।
- बाई राज की बावड़ी, चमना बावड़ी, चौखी बावड़ी ( बनेड़ा गांव में ) आदि बावड़ियां भीलवाड़ा में स्थित हैं।
- बनेड़ा दुर्ग, माण्डलगढ़ दुर्ग (त्रिवेणी संगम मर) भीलवाड़ा में है।
- भीलवाड़ा में तांबा खनिज के उत्पादक क्षेत्र – पुर दरीबा, बनेड़ा।
- कुशाल माता – महाराणा कुम्भा ने 1490 ईस्वी में मालवा विजय के उपलक्ष में बदनोर ( भीलवाड़ा) में इसका निर्माण करवाया था।
- गूदड़ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ दांतड़ा (भीलवाड़ा) में है।
- भीलवाड़ा में अभ्रक उत्पादक क्षेत्र – दांता, भूणास, बनेड़ी, फुलिया।
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Jordarrr
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