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राजस्थान समान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

Saturday, March 20, 2021

चूरू जिला दर्शन Churu Jila Darshan

 चूरू जिला दर्शन

परिचय
चूरू की स्थापना 1620 में चुहड़ा जाट द्वारा करवाया गया।
➥ यह सबसे कम वनक्षेत्र वाला जिला है।
चुरू किले को दुश्मनो पर चांदी के गोले दागने के कारण जाना जाता है।
➥ स जिले में कोई नदी नही है।
यहां की कोठारी हवेली में 6 मन्जिले है व 1100 दरवाजे तथा खिड़कियां है।
➥ यहां के दुधवाखारा मे प्रसिद्ध किसान आन्दोलन हुआ था।
➥ यहां एक धर्मस्तूप है जिसे सभी सर्वधर्म स्वभाव का प्रतीक मानते है।
➥ इसकी योजना स्वामी गोपालदास ने बनायी थी।
➥ चूरू मे जसनाथ जी सम्प्रदाय का अग्नि नृत्य बहुत प्रसिद्ध है।
➥ सुजानगढ का बंधेज कार्य उन्नत अवस्था में है।
➥ लाडनूं का साका व चूनरी प्रसिद्ध है।

स्थान विशेष

साहवा- यह एक पवित्र गुरूद्वारा है जिसमे कार्तिक मास की पूर्णिमा को मेला लगता है। यह स्थान गुरूनानक देव जी व गुरू गोविन्द देव जी के आने एवं रहने से सम्बंध रखता है।

सालासर- मोहनदास जी द्वारा निर्मित इस सालासर बालाजी मंदिर को पुरे राज्य मे सबसे बड़ा आस्था का स्थल माना जाता है। यहां पर राज्य का प्रथम सहकारी क्षेत्र का महिला मिनी बैंक खोला गया है।

ददरेवा- यह गोगाजी महाराज का जन्म स्थल है। यहां पर शीर्ष मेड़ी है।

स्यानण का मंदिर- यहां पर 300 मीटर उंची एक पहाड़ी जिसे स्यानण की डूंगरी कहा जाता है पर काली माता का विशाल मंदिर है जिसका निर्माण 10वीं सदी में हर्षनाथ के साथ ही हुआ है।

वैंकटेश्वर मंदिर, सुजानगढ- भारत के तिरूपति बालाजी मंदिर की अनुमति से बनाए गए इस मंदिर मे भिति चित्रो के माध्यम से भगवान विष्णु के दसो अवतारो को भीतरी भागो में दर्शाया गया है।
यहां पर पंच धातुओ से बनी मुर्तियां प्रतिष्ठित की गई है।

तारानगर- यहां पर भभूता सिद्ध जी का मेला लगता है।

गोपालपुरा- इसे द्रोणपुर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस गांव को द्रोणाचार्य ने बसाया था।

तालछापर- तालछापर वन्य जीव अभ्यारण्य व झील है जो काले हरिणो व कुरंजा पक्षी की शरण स्थली है। यह क्षेत्र काले हरिणो की घटती संख्या व पानी की कमी के कारण चर्चित स्थल है। तालछापर झील एक खारे पानी की झील है।

आपणी योजना कार्यक्रम- जर्मनी के के सहयोग से आपणी योजना शुरू की गई है जिसके प्रथम चरण मे हनुमानगढ व चुरू तथा झुंझुनूं को जल पहुचाया गया है।

आर.टी.डी.सी. होटल- चिरमी

मुख्य हवेली- सुराणो की हवेली

सर्वाधिक क्षेत्रफल वाली फसले- चना व कुल दलहन

उद्योग- उन उद्योग की एक बड़ी इकाई वर्टेड स्पिनिंग मिल्स है।

खनिज- जिप्सम

उर्जा- सरदार शहर व चुरू में सौर उर्जा से विद्युत उत्पादन किया जाता है।

व्यक्ति विशेष

श्री सुन्दर प्रसाद तथा श्री गौरीशंकर को कथक नृत्य में विशेष कार्य करने पर पदमश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
कृष्णा पूनिया जो महिला डिस्कस थ्रो मे देश को अनेक मेडल दिला चुकी है इसी जिले की है।
सुजानगढ में जन्मे प्रसिद्ध रचनाकार कन्हैयालाल सेठीया को 2004 में पद्मश्री प्राप्त हुआ है।
विश्व के सबसे धनी व्यक्तियो मे से एक लक्ष्मीनिवास मितल भी यही के है जिन्हे 2008 में पद्म विभुषण से सम्मानित किया गया।

चुरू जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य →

राजस्थान का सर्वाधिक ठंडा व गर्म जिला चूरू।

सहकारी क्षेत्र का राज्य का प्रथम महिला मिनी बैंक-सालासर (चूरू) में है।

1930 में चांदमल बहड़ ने धर्मस्तूप नामक स्थान पर भारतीय स्वतन्त्रता का झण्डा फहराया था। धर्मस्तूप को लाल घण्टाघर भी कहते है।

प्रसिद्ध उद्योगपति लक्ष्मीनिवास मित्तल सुजानगढ़ (चूरू) निवासी है।

दूधवा खारा स्थान चूरू में है। दूधवा खारा किसान आंदोलन का नेतृत्व रघुवरदयाल गोयल, वैद्य मघाराम तथा हनुमानसिंह आर्य ने किया था।

राज्य में सबसे कम वन-चूरू में है।

गोयनका की हवेली चूरू में है।

कबूतरी नृत्य चूरू का प्रसिद्ध है।

चूरू में पीला पोमचा व औढ़नी की रंगाई होती है।

पालर पानी – राजस्थान का चूरू जिला वर्षा जल (पालर पानी) के संग्रहण हेतु अनूठी कार्ययोजना को क्रियान्वित करने वाला एकमात्र जिला है।

प्रोजेक्ट जलधारा – लक्ष्मी मित्तल ने राजगढ़ (सादुलपुर) कस्बे और 168 गाँवों में पीने का पानी लाने की योजना।

ओलमा – राजस्थानी भाषा के उत्थान व आंचलिक साहित्य को मुखर करती वह पत्रिका जो चूरू से सम्बन्धित है।

तारानगर – भित्ति चित्रों हेतु प्रसिद्ध तथा रामदेव जी का मेला भी लगता है। 


चूरू की स्थापना 1620 ई में चूहडा नामक जाट ने की थी।
यह जिला अपनी हवेलियों और उनकी भितिचित्रों व कलात्मक झरोखों के लिए प्रसिद्ध है।

गोगा जी मंदिर 
यह मंदिर ददेरवा चूरू में स्थित है। राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की जन्मस्थली यही है। इसको शीशमेडी भी कहते है। कहा जाता है कि गोगाजी ओर मोहम्मद गजनवी के बीच यही युद्ध हुआ था और इस युद्ध में गोगाजी परमवीर गति को प्राप्त हो गए, जहा गोगाजी का सिर गिरा वो स्थान शीश मेडी कहलाता है। गोगा जी राजस्थान के पंच पिरो में प्रमुख है।
गोगनवमी भाद्र कृष्ण नवमी को यहां विशाल मेला भरता है।

सालासर बालाजी मंदिर 
यह मंदिर सुजानगढ़ के पास में सालासर नामक स्थान पर भरता है। 
यह मंदिर 250 साल लगभग पुराना है । इस मंदिर का निर्माण 1754 में मोहनदास ने कराया था। इस मंदिर की मूर्ति स्वत प्रकट हुईं थीं। यह मूर्ति देश की पहली दाढ़ी मूछो युक्त मूर्ति है।
इस मंदिर के पास में ही माता अंजना की मूर्ति है। यहां वर्ष में दो बार मेले का आयोजन होता है, चैत्र पूर्णिमा ओर आश्विन पूर्णिमा को ।

वेंकटेश्वर मंदिर 
यह मंदिर सुजानगढ़ में स्थित है। तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है इस मंदिर का निर्माण सोहनलाल जनोदिया ने कराया है

साहवा का गुरुद्वारा 
चूरू में स्थित यह गुरुद्वारा राजस्थान का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है। यहां राज्य का सबसे बड़ा सिक्ख मेले का आयोजन होता है। यहां कार्तिक मास पूर्णिमा को मेला लगता है।

धर्म स्तूप 
इस धर्म स्तूप का निर्माण सर्व हितकारिणी सभा की योजना से बनाया गया है। यह स्तूप लाल पत्थर से बना हुआ है। इसलिए इसे लाल घंटाघर कहते है। 

ताल छापर अभ्यारण्य 
यह अभ्यारण्य ताल छापर में स्थित है। ताल छापर अभ्यारण्य काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह विदेशी पक्षी कुरजा के लिए प्रसिद्ध अभ्यारण्य है

चूरू का किला
चूरू का किला अपने आप में एक ऐतिहासिक किला है। इस किले का निर्माण 1739 ई में ठाकुर कुशालसिंह ने करवाया था। बीकानेर राज्य ओर चूरू के बीच युद्ध होने पर अपनी अस्मिता को बचाने के लिए राजा शिवनाथ सिंह ने बारूद खत्म हो जाने पर बीकानेर की सेना पर चांदी के गोले दागे थे।
इसलिए इसे चांदी के गोले दागने वाला किला भी कहते है।

चूरू की हवेलियां
दानमल चोपड़ा की हवेली
कन्हैयालाल बाघला की हवेली
कोठारी हवेली
खेमका पारखो की हवेली
सुराणा हवेली - यह एक 6 मंजिला हवेली है इसमें कुल खिड़कियां ओर दरवाजे मिलाकर 1100 है । यह सुराणा परिवार की निजी हवेली है

नाहटा संग्रहालय 
यह चूरू के नाहटा परिवार का निजी संग्रहालय है । यह संग्रहालय नाहटा हवेली में स्थित एक छोटा सा लघु संग्रहालय है।

                     महत्वपूर्ण तथ्य
                     
प्रसिद्ध रचनाकार कन्हैया लाल सेठिया का जन्म सुजानगढ़ चूरू में हुआ था।
दुधवा खारा आंदोलन एक किसान आंदोलन है जो यही से प्रारम्भ हुआ था उसका नेतृत्व हनुमान चौधरी ने किया था।
लाडनूं का शाका ओर चुनरी प्रसिद्ध है।
स्यानण का मंदिर - स्यनान की डूंगरी पर स्थित काली माता का मंदिर है। तीन भागों में विभक्त यह एक प्राचीन मंदिर है।
साहवा लिफ्ट नहर परियोजना - अब इसका नाम चौधरी कुंभाराम लिफ्ट परियोजना कर दिया गया है।
भभूत सिद्ध का मेला - चंगोई गांव चूरू
बीघाजी जी का स्मारक - द्रोणपुर चूरू
ढोला मारू चित्र - चूरू 

■★राजस्थान जिला दर्शन:चूरू जिला ★■

■◆चूरू जिले का इतिहास——>
■चूरू जिले की स्थापना 1620 ई. में चूहड़ा या चूहरू नामक जाट ने की थी।
■💟चूरू जिले का दूधवा खारा नामक गांव किसान अांदोलनों के लिए प्रसिद्ध रहा है।
■स्वतंत्रता के समय चूरू जिला बीकानेर रियासत का भाग था।■1 नवम्बर 1956 में राजस्थान एकीकरण के दौरान चूरू को जिले का दर्जा दिया गया था।
■चूरू जिला राजस्थान के बीकानेर संभाग में आता है।

■ चूरू जिले की मानचित्र में स्थिति व  विस्तार———->
➯अक्षांशीय स्थिति : 27°24′ से 29°0′ उत्तरी अक्षांश तक
➯देशांतरीय स्थिति :73°44′ से 75°41′ पूर्वी देशान्तर तक

      ■◆चूरू जिले की भौगोलिक स्थिति◆■
■चूरूजिले का क्षेत्रफल : 16830 वर्ग किलोमीटर।

■सन् 2011 की जनगणना के अनुसार चूरू जिले की जनसंख्या के आंकड़े——–>
■कुल जनसंख्या—20,39,547
➯पुरुष—10,51,446
➯स्त्री—9,88,101

■ दशकीय वृद्धि दर—20.3%
■लिंगानुपात—940
■ जनसंख्या घनत्व—147

■साक्षरता दर—66.8%
➯पुरुष साक्षरता—78.8%
➯महिला साक्षरता—54%

■पशुधन—>
➯पशुगणना 2012 के अनुसार चूरू जिले में कुल पशुधन संख्या 18,49,833 है।

■पशुघनत्व—->
➯पशुगणना 2012 के अनुसार चूरू जिले का पशु घनत्व 110 है।



चुरू जिले के प्रश्नोत्तर | Churu GK Questions

  • राजस्थान का सर्वाधिक तापांतर वाला जिला कौन सा है - चूरू जिला 
  • राजस्थान का सर्वाधिक गर्म जिला एवं गर्म स्थान कौन सा है - चूरू 
  • राजस्थान का प्रथम सहकारी क्षेत्र का महिला मिनी बैंक कहां स्थित है - सालासर (चुरु) में।
  • राजस्थान का सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला कौन सा है - चूरू।
  • ताल छापर वन्यजीव अभयारण्य कहां स्थित है - चूरू में।
  • राजस्थान का कौनसा जिला सर्दियों में सर्वाधिक ठंडा एवं गर्मियों में सर्वाधिक गर्म होता है - चूरू जिला।
  • चंदन की मूर्तियों के काम के लिए कौन सा जिला प्रसिद्ध है - चूरू जिला।
  • सबसे बड़ा आखेट निषिद्ध क्षेत्र संवत्सर कोटसर किस जिले में स्थित है - चूरु जिले में।
  • गंधेली साहवा लिफ्ट नहर का दूसरा नाम क्या है - चौधरी कुंभाराम लिफ्ट नहर।
  • नोहर साहवा लिफ्ट नहर से किस जिले को जल उपलब्ध होता है - चूरु जिले को।
  • सिखों का सबसे बड़ा मेला कहां लगता है - साहवा, चूरू में।
  • बिग्गाजी स्मारक कहां स्थित है - सुजानगढ़ (चूरू) में।
  • चूरू की प्रमुख हवेलियां कौन सी है : सुराणा के हवामहल, मंत्रियों की मोती हवेली, रामविलास गोयंका की हवेली, दानचंद चोपड़ा की हवेली आदि।

1 comment:

All the best

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