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राजस्थान समान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

Sunday, August 9, 2020

ओजोन परत के बारे मैं रोचक तथ्य

                   

           ओजोन परत के बारे में रोचक तथ्य 

दियासारे संसार में 16 सितम्बर यानि आज के दिन “अन्तर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस” के रूप में मनाया जाता है ऐसे में यह जानना रोचक है कि सम्पूर्ण जीव जगत की रक्षा में ओजोन परत (Ozone Layer) की क्या भूमिका है और इसका निर्माण कैसे होता है |

सम्पूर्ण ब्रहमांड में पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहा हमारा जीवन सम्भव है वायुमंडल ठोस ,द्रव्य एवं गैस के कणों से मिलकर बना है | हमारी पृथ्वी चारो ओर से वायुमंडलीय कवच से घिरी हुयी है | यह कवच दिन में सूर्य की तेज पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है और रात में पृथ्वी को ठंडी होने से बचाता है | वायुमंडल में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन , 16 प्रतिशत ऑक्सीजन , 0.03 प्रतिशत कार्बन डाईओक्सोइड गैस है अन्य गैसों में नियोन ,हाईड्रोजन , मीथेन ,नाइट्रस ओक्साइड भी अल्प मात्रा में पायी जाती है |
वायुमंडल को मुख्य चार मंडलो में विभाजित किया गया है जिन्हें क्षोभ मंडल ,समताप मंडल ,मध्य मंडल और ताप मंडल कहते है |क्षोभ मंडल वायुमंडल की सबसे निचली परत है समताप मंडल में उचाई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन होता है मध्य मंडल में पहले तो तापमान बढ़ता है परन्तु बाद में कम हो जाता है | तापमंडल में तापमान लगभग 1700 सेंटीग्रेड तक पहुच जाता है समताप मंडल में ही ओजोन गैस से निर्मित एक परत पायी जाती है जिसे ओजोन परत (Ozone Layer) कहते है इसे ओजोन मंडल भी कहते है |

ओजोन मंडल पृथ्वी से 20-25 किमी की उचाई पर सबसे अधिक है और लगभग 75 किमी की उचाई पर यह ना के बराबर हो जाता है | ओजोन हल्के नीले रंग की वायुमंडलीय गैस है यह समताप मंडल में प्राकृतिक रूप से बनती है | यह ओक्सीजन का ही रूप है एक ओजोन अणु में तीन ओक्सीजन परमाणु होते है |

कैसे बचाती है ओजोन छतरी | How Ozone Layer Prevents Us

जब सूर्य की घातक पराबैंगनी किरने वायुमंडल में ऑक्सीजन के साथ क्रिया करती है तो प्रकाश विघटन के कारण ओजोन की उत्पति होती है और यही ओजोन एक परत के रूप में सूर्य की तेज पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर सम्पूर्ण जीव जगत की रक्षा करती है | समताप मंडल में ओजोन गैस एक रक्षक छतरी की भांति कार्य करती है | इसकी खोज जर्मन वैज्ञानिक क्रिश्चियन श्योंन बाइन ने 1839 में की थी |

जो रसायन ओजोन परत को क्षति पहुचाते है उन्हें ओजोन क्षयक रसायन कहते है इनमे क्लोरोफॉर्म कार्बंस (CFC), मिथाइल ब्रोमाइड आदि प्रमुख है | इनकी खोज 1928 में हुयी थी | क्लोरोफॉर्म कार्बन्स फ्लोरीन , फ्लोरीन एवं कार्बन से मिलकर बनते हेई | CFC का प्रयोग फ्रीज एवं AC में प्रशीतलक के रूप में होता है जिनमे रासायनिक गुण हमारे पर्यावरण के अनुकूल नही है |

ओजोन परत की क्षति से दुष्परिणाम |

ओजोन परत (Ozone Layer) की क्षति से होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप वायुमंडल में तापमान बढ़ रहा है | इस प्रकार तापमान के बढने को ग्रीन हाउस प्रभाब कहते है |असमय बारिश ,सुखा एमव बाढ़ आदि ये कारण हो सकते है | तापमान बढने का प्रभाव मुख्य रूप से हिमालय पर वर्षो से प्राकृतिक रूप से जमी बर्फ के उपर पड़ेगा | हिमालय पर प्राकृतिक रूप से जमी बर्फ को ग्लेशियर कहते है | हिमालय में ग्लेशियर के इस प्रकार पिघलने से समुद्र में जलस्तर बढ़ेगा जिसके परिणाम स्वरूप समुद्र तट पर बसे अधिकांश शहरों के आंशिक या पूर्ण रूप से डूबने का गम्भीर खतरा है |

1989 में ओजोन परत सुरक्षा को लेकर एक अन्तर्राष्ट्रीय सहमति हुयी ,जिसके अनुसार 2000 तक सभी विकसित देश CFC एवं अन्य ओजोन क्षयक रसायनों का उत्पादन एवं उपयोग पूर्ण रूप से समाप्त करने का प्रावधान है | विकाशशील देशो के लिए प्रतिबंध की समय सीमा 2010 तक निर्धारित थी 1995 तक 150 देशो ने आचार सहिंता पर हस्ताक्षर किया | भारत ने भी ओजोन परत की हानि के दुष्परिणामो को देखते हुए 1992 में सहिता पर हस्ताक्षर करके ओजोन क्षयक रसायनों का उपयोग बंद करने का निर्णय किया |

कौन कौन से देश है प्रभावित

ओजोन परत की क्षति का दुष्प्रभाव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सारी पृथ्वी पर पड़ेगा | एक रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के उपर तो 1960 से ही ओजोन परत के पतली होने का खतरा मंडरा रहा है शायद इसलिए सबसे अधिक चर्म रोगी ऑस्ट्रेलिया में है | यहा के अधिकांश नागरिक धुप में निकलने से पहले सन प्रोटेक्शन क्रीम और लोशन लगाते है | ओजोन परत की क्षति से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले दक्षिणी ध्रुव स्थित कुछ देश जैसे ऑस्ट्रेलिया ,दक्षिणी अमेरिका का द्क्षिनाव्रती भाग ,दक्षिण अफ्रीका एवं न्यूजीलैंड है

ओजोन परत के बारे मैं कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

पृथ्वी के चारों ओर सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी विकिरणों से पृथ्वी पर बसे जीवन को बचाने के लिए  एक सुरक्षा कवच फैला हुआ है। इस सुरक्षा कवच को हम ओजोन परत के नाम से जानते हैं। यह पृष्ठ ओजोन परत के बारे में संपूर्ण सामान्य ज्ञान उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से बनाया गया है ओजोन परत के बारे में आधार से लेकर संपूर्ण सामान्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए इस पृष्ठ को अंत तक पढ़े।

1. ओजोन परत क्या है?

ओजोन परत पृथ्वी के क्षोभमंडल तथा समताप मंडल में फैली हुई एक प्रकार की गैस है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों से हमारी रक्षा करती है क्योंकि यह पराबैंगनी विकिरण से अभिक्रिया कर उन्हें अवशोषित कर लेती है।

2. पराबैंगनी विकिरण क्या है?

पराबैंगनी विकिरण सूर्य से आने वाली वह अदृश्य विकिरण है जो पृथ्वी पर पनप रहे जीवन के लिए खतरनाक है। नग्न आँखों से हमें सूर्य से आने वाला केवल दृश्य प्रकाश ही दिखाई देता है लेकिन वास्तव में सूर्य से दृश्य प्रकाश के अतिरिक्त कुछ अदृश्य विकिरणें भी आती है और पराबैंगनी विकिरण उन्हीं में से एक है

3. सूर्य से पराबैंगनी विकिरणों के अतिरिक्त अन्य कौन सी विकिरणें आती है?

सूर्य से पराबैंगनी विकिरणों के अतिरिक्त रेडियो, अवरक्त, गामा तथा एक्स रे विकिरणें आती हैं जो कि पराबैंगनी की तरह ही अदृश्य होती हैं।

4. पराबैंगनी विकिरणों से जीवों को क्या क्या नुकसान हो सकते हैं?

पराबैंगनी विकिरणों से चर्म रोग होते हैं जिसमें त्वचा का जलना व विभिन्न प्रकार के त्वचा से सबंधित रोग शामिल हैं। ये अदृश्य विकिरणें मानव व अन्य जीवों के उन सभी अंगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं जो सूर्य से आने विकिरणों के सीधे संपर्क में आते हैं।

5. ओज़ोन कैसे बनती है?

हमारी पृथ्वी के चारों ओर कंबल की तरह वायुमंडल की परत बनी हुई है तथा उसी वायुमंडल में ऑक्सीजन भी विद्यमान है। ऑक्सीजन का अणु ऑक्सीजन के दो परमाणुओं से मिलकर बना होता है जिसे हम O2 के नाम से जानते हैं। जब सूर्य से पराबैंगनी विकिरणें ऑक्सीजन के अणु से टकराती हैं तो इसके दोनों परमाणुओं को विखंडित कर देती हैं। विखंडित हुए ऑक्सीजन के इस अकेले परमाणु में उच्च अभिक्रिया करने की क्षमता होती है जिस कारण यह ऑक्सीजन के अन्य अणुओं से संयोजित हो जाता है और O3 का निर्माण करता है इसी O3 को ओज़ोन कहा जाता है।

6. ओज़ोन पराबैंगनी विकिरणों से पृथ्वी की रक्षा कैसे करती है?

ओज़ोन अर्थात O3 से जब सूर्य की पराबैंगनी विकिरणें टकराती हैं तो ये विकिरणें स्वयं अवशोषित होकर ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं में से एक परमाणु को विखंडित कर देती हैं। अपनी उच्च अभिक्रिया क्षमता के चलते यह अलग हुआ परमाणु ऑक्सीजन के किन्ही अन्य दो परमाणुओं से पुनः संयोजित हो जाता है। और फिर पुनः सूर्य की पराबैंगनी विकिरणें स्वयं अवशोषित होकर ऑक्सीजन के इस परमाणु को विखंडित कर देती है और अपनी उच्च अभिक्रिया क्षमता के चलते यह परमाणु पुनः ऑक्सीजन के अन्य अणु में संयोजित हो जाता है। विखंडन और संयोजन की यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है और इस प्रक्रिया में पराबैंगनी विकिरणें निरन्तर अवशोषित होती रहती हैं तथा पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुँच पाती।

7. ओज़ोन से सबंधित अध्ययन में (ODS) ओ डी एस की फुल फॉर्म क्या होती है?

ओज़ोन से सबंधित अध्ययन में ODS (Ozon Depleting Substance) को कहा जाता है। ओज़ोन को नष्ट करने वाले सभी पदार्थों को ओज़ोन डेप्लेटिंग सब्सटांस की श्रेणी में रखा जाता है।

 
ओज़ोन परत के क्षय के लिए Chlorofluorocarbons (क्लोरोफ्लोरोकार्बन), Halons (हैलोन्स) तथा Carbontetrachloride (कार्बनटेट्राक्लोराइड) उत्तरदायी है। ओज़ोन उच्च अभिक्रिया करने वाला अणु होता है जिस कारण यह हाईड्रोजन, नाइट्रोजन, क्लोरीन तथा ब्रोमीन से अभिक्रिया करता है। इस अभिक्रिया में ओज़ोन अणु के तीन परमाणुओं में से एक परमाणु विखंडित हो जाता है जिसके चलते ओज़ोन का अणु ऑक्सीजन के अणुओं में परिवर्तित होता है तथा ओज़ोन परत का क्षय होता है।

9. कौन सी मानवीय क्रियाएं ओज़ोन परत क्षय के लिए उत्तरदायी हैं?

हमारे द्वारा प्रयोग किए जाने वाले रेफ्रीजिरेटर, घरेलू इंसुलेटर, रसायन के प्रयोग से बनाए गए कीटनाशक, फोम तथा खाने के पश्चात बचे फेकें गए डिब्बों को ओज़ोन डेप्लेटिंग सब्सटांस (ODS) का जनक माना जाता है। इसलिए हम उपरोक्त वस्तुओं पर रोक लगाकर या सुरक्षित तरीके से इनका प्रयोग कर ओज़ोन परत के क्षय को रोक सकते हैं।

10- ओजोन परत के क्षय को क्यो रोकना अनिवार्य है
 
ओज़ोन परत का क्षय पृथ्वी पर बसे जीवन को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचा सकता है। इनमें ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से शामिल हैं। जिसके चलते पृथ्वी पर चल रहे जीवन चक्र में असंतुलन बढ़ेगा और मनुष्यों सहित सभी जीव नकारात्मक ढंग से प्रभावित होंगे। इसलिए ओज़ोन परत के क्षय को रोकना अनिवार्य है।

11. ओज़ोन को नष्ट होने से बचाने का सबसे कारगर तरीका क्या है?

प्रभावी तरीके से ओज़ोन के क्षय को रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से क्लोरोफ्लोरोकार्बन बनाने वाले सभी पदार्थों पर रोक लगाना इसका सबसे कारगर उपाय है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण न फैलाकर, खाद्य पदार्थों के खाली हुए डिब्बों का सही तरीके से निपटान करके, रसायन युक्त कीट नाशकों का प्रयोग कम करके व फोम इत्यादि का प्रयोग न करके ओज़ोन के क्षय को रोका जा सकता है।

12. विश्व ओज़ोन दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व ओज़ोन दिवस या अंतराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस प्रत्येक वर्ष 16 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन ओज़ोन के क्षय व इसे बचाने के उपायों के बारे में लोगों को जागृत किया जाता है। 16 सितंबर को विश्व ओज़ोन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा 19 दिसंबर 1994 को यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली (UNGA) द्वारा की गई थी।

13. ओज़ोन परत पृथ्वी की सतह से कितनी ऊँचाई पर विद्यमान है?

ओजोन परत का 10% भाग क्षोभमंडल में तथा 90% भाग समताप मंडल में विद्यमान है। क्षोभमंडल का क्षेत्र पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर 06 किलोमीटर से 17 किलोमीटर तक है जबकि समताप मंडल पृथ्वी की सतह से 50 किलोमीटर तक फैला हुआ है। 06 किलोमीटर से लेकर 50 किलोमीटर तक के इसी क्षेत्र में ओज़ोन गैस के अणु फैले हुए हैं।

14. ओज़ोन परत की मोटाई कितनी है?

ओज़ोन परत वास्तव में एक परत के रूप में न होकर क्षोभमंडल और समताप मंडल में फैली हुई है। लेकिन यदि हम इस फैली हुई ओज़ोन गैस को एक परत के रूप में एकत्रित करें तो इसकी मोटाई 03 मिलीमीटर होगी। यहां पर यह ध्यान रखने योग्य है कि पृथ्वी के कुछ स्थानों पर ओज़ोन की सघनता अधिक है और कुछ स्थानों पर कम। इसलिए 03 मिली मीटर की यह मोटाई ओज़ोन परत की औसतन मोटाई है।

15. ओज़ोन परत की मोटाई मापने की इकाई क्या है?

ओजोन परत की मोटाई मापने की इकाई "डॉबसन" है 100 डॉबसन 01 मिली मीटर के बराबर होते हैं। इसलिए यदि परीक्षा में पूछा जाए कि ओज़ोन परत की मोटाई कितनी है तो इसका उत्तर होगा 300 डॉबसन। ज्ञात रहे 300 डॉबसन 03 मिली मीटर के बराबर होता है।

16. ओजोन परत की मोटाई मापने की इकाई डॉबसन का नाम किसके नाम पर रखा गया है?

ओज़ोन परत की मोटाई मापने की इकाई डॉबसन का नाम ओज़ोन के गुणों का विस्तार अध्ययन करने वाले ब्रिटिश वैज्ञानिक Gordon Miller Bourne Dobson (गॉर्डन मिलर बॉर्न डॉबसन) के नाम पर रखा गया है।

17. ओज़ोन परत की खोज कब व किसने की थी?

ओजोन परत की खोज वर्ष 1913 में फ्रांस के दो भौतिकविदों "फैबरी चार्ल्स" और "हेनरी बुसोन" ने की थी।

18. ओज़ोन गैस का रंग कैसा होता है?

ओज़ोन गैस का रंग "नीला" होता है।

19. क्या ओज़ोन एक गंधहीन (Odorless) गैस है?

नहीं... ओज़ोन गंधहीन गैस नही है। ओज़ोन में एक विशेष प्रकार की तीव्र गंध होती है जिस कारण इसकी मौजूदगी को आसानी से पहचाना जा सकता है।

20. हमारे वायुमंडल में विद्यमान ओज़ोन गैस को कितने भागों में बांटा गया है?

दो भागों में... गुड ओज़ोन तथा बैड ओज़ोन

21. गुड ओज़ोन किसे कहा जाता है?

गुड ओज़ोन पृथ्वी के समताप मंडल में पाई जाती है तथा यह गैस प्राकृतिक तरीके से सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों से अभिक्रिया करके बनती है।

22. बैड ओज़ोन किसे कहा जाता है?

बैड ओज़ोन पृथ्वी के क्षोभमंडल में पाई जाती है जो कि पृथ्वी की सतह से 06 से 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक विद्यमान है। क्षोभमंडल में फैली ओज़ोन गैस मानवीय क्रियाकलापों की वजह से वायुमंडल में फैले रसायनों से अभिक्रिया करके बनती है।

23. पृथ्वी के चारों ओर ओज़ोन परत का निर्माण कब हुआ था?

ओज़ोन का निर्माण आज से दो अरब वर्ष पहले उस समय हुआ था जब नीले-हरे शैवाल नामक प्रारंभिक जलीय जीवों ने पानी और कार्बन डाईऑक्साइड के अणुओं को सूर्य की ऊर्जा का प्रयोग कर अन्य कार्बनिक योगिक व आणविक ऑक्सीजन में बदलना शुरू किया था।

24. किस महाद्वीप के ऊपर ओज़ोन परत में एक बड़ा छिद्र हो गया है?

अंटार्कटिका पर

25. अंटार्कटिका किस ध्रुव पर स्थित है?

दक्षिणी ध्रुव पर

26. ओज़ोन में हुए छिद्र की खोज किस वर्ष की गई थी?

वर्ष 1985 में

27. ओज़ोन में हुए छिद्र की खोज किसने की थी?

जोसफ फरमन (Joesph Farman) ने

28. किसी क्षेत्र के ऊपर ओज़ोन परत की मौजूदगी कैसे मापी जाती है?

पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाली पराबैंगनी विकिरणों (Ultraviolet Rays) की मात्रा को मापकर उस क्षेत्र के ऊपर ओज़ोन परत की उपस्थिति व मात्रा का पता लगाया जा सकता है।

29. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल क्या है?

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक सन्धि है जो ओज़ोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों के उत्सर्जन को रोकने के लिए दुनिया के सभी देशों के मध्य हुई है।

30. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल सन्धि कब लागू की गई थी?

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर 16 सितंबर 1987 से होने शुरू हुए थे और यह सन्धि 01 जनवरी 1989 को लागू की गई थी।

31. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल सन्धि कहाँ हुई थी?

मॉन्ट्रियल, कैनेडा में (कैनेडा में स्थित मॉन्ट्रियल स्थान के नाम पर इस सन्धि का नाम मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पड़ा है)

32. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लागू होने के बाद से अब ओजोन में हुए छिद्र पर क्या प्रभाव पड़ा है?

यह छिद्र धीरे-धीरे छोटा होना शुरू हो गया है

प्रश्न- ऐसी गैस का नाम बताएं जो जीवन के लिए उपयोगी भी है और हानि कारक भी है?

उत्तर- ओजोन। ओजोन परत स्ट्रेटो स्फियर में जीवन को सौर विकिरणों से बचाती है मगर पृथ्वी तल के पास का ओजोन जीवन के लिए हानिकारक है।


प्रश्न- ओजोन परत क्या है?

उत्तर- धरती से 15 से 40 कि0 मी0 ऊपर वायुमंडल में ओजोन अणुओं की एक पतली चादर है, जिसे ओजोन परत कहते हैं। इस चादर ने हमारी पूरी पृथ्वी को आवरण प्रदान किया हुआ है।


प्रश्न- ओजोन परत से हमें क्या लाभ है?

उत्तर- जब सूर्य की किरणें ओजोन परत में से होकर गुजरती हैं, तो ओजोन अणु तमाम नुकसान पहुंचाने वाले पैराबैंगनी विकिरण को रोक लेते हैं यदि यह विकिरण धरती पर पहुंच जाये तो मनुष्यों सहित सभी जीवों को हानि पहुंचाएगा।


प्रश्न- ओजोन परत को किस चीज से क्षति पहुंच रही है?

उत्तर- क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैसों के बढ़ते प्रभाव से ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो रही है, जिसके भंयकर परिणाम होंगे।


प्रश्न- ओजोन परत का क्षय कहां से हो रहा है?

उत्तर- दक्षिणी ध्रुव से।


प्रश्न- ओजोन परत के क्षतिग्रस्त होने की प्रथम जानकारी किसने दी?

उत्तर- एफ.एम. रोलैंड ने जो यू.एस.ए. के रहने वाले हैं।


प्रश्न- किस उपग्रह ने ओजोन छिद्र की उपस्थिति दर्ज की थी?
उत्तर- निम्बस—7। ने।


प्रश्न- किस मौसम में ओजोन छिद्र सबसे बड़ा दिखाई देता है?
उत्तर- बंसत ऋतु में।


प्रश्न- वर्ष 2005 में ओजोन परत में बन रहे सुराख का आकार कितना हो चुका था?

उत्तर- 10 दिसम्बर 2005 को ओजोन छिद्र का आकार 38.61 लाख वर्ग मील हो चुका था।


प्रश्न- ओजोन संकट पर विचार के लिए पहली बैठक कब हुई?

उत्तर- सन् 1985 में वियना में।


प्रश्न- ओजोन संरक्षण दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर- 16 सितम्बर को।



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